मानव कौल को मैंने दूसरी बार पढ़ा है, इससे पहले ‘ ठीक तुम्हारे पीछे ‘ पढ़ी थी। इस किताब के बारे में एक लाइन में कहूँ तो ये एक ऐसी किताब है जो हर एक किशोर स्वयं की ही कथा लगेगी।। किशोरावस्था में प्रवेश करने पर कैसे मानसिक कठिनाइयों एवं उथल पुथल से गुज़र न परता है, ये किताब बखूबी बताती है। किताब के प्रारम्भ में सब कुछ काफी मजेदार और मनोरंजक होता है लेकिन धीरे धीरे ये किताब अपने मूल भाव पर पहुँचती जाती है यानी अपने शीर्षक ” शर्ट का तीसरा बटन ” पर ॥
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Shirt Ka Teesra Button में तीन कहानियाँ एक-दूसरे से गुँथी हुई हैं। राज़ील और उसके दोस्तों की कहानी, राज़ील और ग़ज़ल के प्यार की कहानी और राजिल की माँ आशा की कहानी।
मानव कौल को मैंने दूसरी बार पढ़ा है, इससे पहले ‘ ठीक तुम्हारे पीछे ‘ पढ़ी थी। इस किताब के बारे में एक लाइन में कहूँ तो ये एक ऐसी किताब है जो हर एक किशोर स्वयं की ही कथा लगेगी।। किशोरावस्था में प्रवेश करने पर कैसे मानसिक कठिनाइयों एवं उथल पुथल से गुज़र न परता है, ये किताब बखूबी बताती है। किताब के प्रारम्भ में सब कुछ काफी मजेदार और मनोरंजक होता है लेकिन धीरे धीरे ये किताब अपने मूल भाव पर पहुँचती जाती है यानी अपने शीर्षक ” शर्ट का तीसरा बटन ” पर ॥