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₹299₹200-
‘Allahabad Diary – एक ग़ैर मामूली दास्तान’
हिंदी माध्यम के छात्रों की संघर्ष गाथा है जो सिविल सेवा परीक्षा पास करके आईएएस बनना चाहते हैं। इसी कथा के समानांतर एक दूसरी कथा एक कम उम्र की विधवा शांति की है जिसका बेटा उसे छोड़कर विदेश चला जाता है।
वैधव्य की पीड़ा, पुत्र का देश छोड़कर चले जाना और अकेलेपन की त्रासदी के बीच यह नारी पात्र आज की पीढ़ी पर वर्तमान समाज के परिप्रेक्ष्य में कई मौलिक प्रश्न खड़े करता है।
कहानी पढ़ते समय यह आभास होता है कि यह कथा न केवल समाज में अपना स्थान बनाने की ख़्वाहिश रखने वाले कुछ नवयुवकों की है बल्कि इसमें दो परिस्थितिजन्य पीड़ा से ग्रसित महिलाओं की संघर्ष गाथा भी है।
अनुराग का संघर्ष कहानी में बारीकी से चित्रित किया गया है। इस पात्र का चरित्र उदात्त चरित्र नहीं है।
अपने जीवन के लक्ष्य तक पहुँचने के लिए वह झूठ-फरेब सब करने को तैयार है। इसकी एक ही नैतिकता है- विजय, चाहे वह किसी के ध्वंस पर ही क्यों न हो। कहानी में हिंदी माध्यम के अन्य पात्र Allahabad (वर्तमान का प्रयागराज) के हिंदी माध्यम छात्र-जीवन को पूरी तरह संदर्भित करते हैं
इस परीक्षा में अँग्रेज़ी के प्रभाव और मातृभाषा के अपमान पर कई अनुत्तरित प्रश्न पर उठाते हैं।
उर्मिला का संघर्ष, शांति की पीड़ा, हिंदी माध्यम के छात्रों की अँग्रेज़ी न जानने की विवशता के मध्य एक संकल्प इन निम्न मध्यवर्गीय छात्रों का कि मैं जन्मा हूँ एक ग़ैर मामूली दास्तान के लिए, कथानक का केंद्र बिंदु है।
Allahabad University, यूनिवर्सिटी रोड, Allahabad के छोटे-छोटे मुहल्ले इस कथानक में दिखाए गए हैं।
कई पात्र इस कहानी के सजीव हैं जिनको आम जीवन से उठाया गया है। अगर ऐसा कहा जाए कि इस कहानी के पात्र कुछ अलग नाम और क़द-काठी के साथ आज भी Allahabad के छात्रावासों और डेलीगेसियों में साँसें ले रहे तो शायद यह अतिशयोक्ति न होगी।
यह भावना के धरातल पर लिखा गया उपन्यास है जिसमें भावनाएँ अक्सर प्रधान हो जाती हैं और पात्रों से अधिक पात्रों की भावनाएँ मस्तिष्क को प्रभावित करने लगती हैं।
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₹300₹190-
Andekhe Pahad – नीरज मुसाफिर स्वभाव से घुमक्कड़ हैं। इन्हें देश के सुदूर और दुर्गम स्थानों पर यात्रा करने और अपने यात्रा-अनुभवों को लिपिबद्ध करने का शौक है। प्रस्तुत पुस्तक “अनदेखे पहाड़” नीरज मुसाफिर की 5वीं पुस्तक है।
इसमें इन्होंने उत्तराखंड के पहाड़ों में विभिन्न साहसिक यात्राओं व ट्रैकिंग के अनुभव लिखे हैं।
1. केदारनाथ (अप्रैल 2011), 2. पिंडारी ग्लेशियर (अक्टूबर 2011), 3. गौमुख-तपोवन (जून 2012), 4. रूपकुंड (अक्टूबर 2012), 5. हर की दून (अक्टूबर 2013), 6. डोडीताल (अप्रैल 2015), 7. रुद्रनाथ (सितंबर 2015), 8. नागटिब्बा (दिसंबर 2015), 9. पंचचूली बेसकैंप (जून 2017), 10. फूलों की घाटी व हेमकुंड साहिब (जुलाई 2017), 11. पँवालीकांठा बुग्याल (सितंबर 2017), 12. चौमासी के रास्ते केदारनाथ (अगस्त 2019
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₹295₹200-
Ek Desh barah Duniya – ‘‘जब मुख्यधारा की मीडिया में अदृश्य संकटग्रस्त क्षेत्रों की ज़मीनी सच्चाई वाले रिपोर्ताज लगभग गायब हो गए हैं तब इस पुस्तक का सम्बन्ध एक बड़ी जनसंख्या को छूते देश के इलाकों से है जिसमें शिरीष खरे ने विशेषकर गाँवों की त्रासदी, उम्मीद और उथल-पुथल की परत-दर-परत पड़ताल की है।’’ -हर्ष मंदर, सामाजिक कार्यकर्ता व लेखक ‘‘यह देश-देहात के मौजूदा और भावी संकटों से संबंधित नया तथा ज़रूरी दस्तावेज़ है।’’ आनंद पटवर्धन, डॉक्युमेंट्री फिल्मकार
‘‘इक्कीसवीं सदी के मेट्रो-बुलेट ट्रेन के भारत में विभिन्न प्रदेशों के वंचित जनों की ज़िन्दगियों के किस्से एक बिलकुल दूसरे ही हिन्दुस्तान को पेश करते हैं, हिन्दुस्तान जो स्थिर है, गतिहीन है और बिलकुल ठहरा हुआ है।’’ -रामशरण जोशी,
वरिष्ठ पत्रकार पिछले दो दशकों से पत्रकारिता में सक्रिय शिरीष खरे वंचित और पीड़ित समुदायों के पक्ष में लिखते रहे हैं। राजस्थान पत्रिका और तहलका में कार्य करते हुए इनकी करीब एक हज़ार रिपोर्ट प्रकाशित हुई हैं। भारतीय गाँवों पर उत्कृष्ट रिपोर्टिंग के लिए वर्ष 2013 में ‘भारतीय प्रेस परिषद’ और वर्ष 2009, 2013 और 2020 में ‘संयुक्त राष्ट्र जनसंख्या कोष’ द्वारा लैंगिक संवेदनशीलता पर स्टोरीज़ के लिए ‘लाडली मीडिया अवार्ड’ सहित सात राष्ट्रीय स्तर के पुरस्कारों से सम्मानित शिरीष खरे की अभी तक दो पुस्तकें ‘तहक़ीकात’ और ‘उम्मीद की पाठशाला’ प्रकाशित हो चुकी हैं।
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₹220₹140-
Kal Aaj Aur Kal – हमारे समय में स्थिति कुछ ऐसी बन गयी है कि लेखक को विचार की ओर मुड़ना ही पड़ता है; सिर्फ़ रचना में नहीं बल्कि सीधे। राठी के विचार का विषय-वितान बहुत फैला हुआ है। उसमें सजगता, वस्तुनिष्ठता और आवेग के साथ अनेक मुद्दों और पहलुओं पर विचार किया गया है। — अशोक वाजपेयी
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₹225₹170-
Lal Rekha – लाल रेखा हिन्दी के लोकप्रिय उपन्यासों में मील का पत्थर है जिसने बड़े पैमाने पर हिन्दी के पाठक बनाए। 1950 में लिखे इस उपन्यास में उस समय हिन्दी उपन्यास की जितनी धाराएँ थीं, सभी को एक साथ इसमें समाहित किया गया है।
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₹165₹130-
प्रेमतीर्थ – एक जुझारू राजनेता और गुजरात के सफल मुख्यमन्त्री के रूप में नरेन्द्र मोदी से सभी परिचित हैं। लेकिन बहुत कम लोग यह जानते होंगे कि नरेन्द्र मोदी एक लेखक भी हैं। अपनी युवावस्था में लिखी संवेदना से भरी उनकी ये कहानियाँ प्रेम और अनुराग के अलग-अलग पहलुओं को दर्शाती हैं। नरेन्द्र मोदी का मानना है कि मातृप्रेम की समस्त प्रेम का स्रोत है और उससे बढ़कर कोई सच्चा प्रेम नहीं है। मनुष्य के बीच अलग-अलग प्रेम इसी मातृप्रेम के विभिन्न रूप हैं, चाहे वह प्रेम दो दोस्तों में हो, एक अध्यापक का अपने छात्र के लिए, एक डाक्टर का अपने मरीज़ के लिए या फिर एक पति का अपनी पत्नी के लिए हो। ये कहानियाँ पढ़कर आश्चर्य होता है कि इतने शक्तिशाली राजनीतिक व्यक्तित्व के पीछे इतना कोमल हृदय धड़कता है। ये कहानियाँ नरेन्द्र मोदी के बहुआयामी व्यक्तित्व का एक और पहलू उजागर करती हैं। गुजराती से हिन्दी में इन कहानियों का अनुवाद गुजरात केन्द्रीय विश्वविद्यालय के प्रोफेसर एवं विभागाध्यक्ष आलोक गुप्त ने किया है। हर कहानी पर गुजरात के एक विशिष्ट लेखक की समीक्षा है जो इस संग्रह की शोभा बढ़ाती है।
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₹199₹175-
Something Sarpila – बनकिस्सा और बात बनेचर की अपार सफलता के बाद लेखक सुनील लौटे हैं उस नायक को लेकर जिसे हमारी एकपक्षीय सोच ने खलनायक बना दिया है. यह स्नेक फोबिया को फिलिया में बदल देनेवाली किताब Something Sarpila है. अब साँप से वही डरेगा जो नहीं पढ़ेगा.
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₹400₹240-
Tareekh Mein Aurat – औरत ने कुदरत को सँवारकर रखने में अपनी हिस्सेदारी निभाई क्योंकि उसका जन्म ही सृजन के लिये हुआ था। उसने युद्ध नहीं रचे। उसे इसकी फ़ुरसत ही नहीं थी। तमाम तरह की विभीषिकाओं के बीच और उनके गुज़र जाने के बाद भी उसने जीवन के बीज बोए। इसके लिये उसे कभी किसी अतिरिक्त ऊर्जा की आवश्यकता नहीं रही। यह और बात है कि न जाने कब से पिलाई जाती रही त्याग, ममता और श्रद्धा की घुट्टियों ने उसके अस्तित्व को इस कदर बांधा कि वह आज तक इन्हीं छवियों में मुक्ति तलाशती आ रही है।
बहुत मुमकिन है आपने इस किताब में आने वाली औरतों में से अनेक के नाम न सुने हों। जीवन की भयानक त्रासदियों से गुज़रकर वे टूटीं, गिरीं और फिर उठकर खड़ी हुईं। ज़रूरी नहीं कि उन्हें किसी के सामने ख़ुद को किसी तरह साबित ही करना था लेकिन उन्होंने ज़िंदगी चुनी। उनमें से एक-एक हमारे ही भीतर लुक-छुपकर बैठी है, हमारे-आपके आसपास की औरत है। इस औरत ने बड़े एहतियात से तमाम शारीरिक, मानसिक और भावनात्मक संघर्षों के बीच अपनी राह बनाई है। अशोक पाण्डे इसी औरत का हाथ थाम लेते हैं। —स्मिता कर्नाटक
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₹598₹399 -
₹250₹185-
Waah ustad – ताल गया तो बाल गया सुर गया तो सर गया ऐसी होती है भारतीय शास्त्रीय संगीत के घरानों की परंपरा – जहाँ संगीत के हर एक पहलू पर इतना बारीकी से ध्यान दिया जाता है। वर्षों की कड़ी मेहनत और रियाज़ से ही बन पाता है कोई ऐसा गायक कि जिसे सुनकर श्रोता कह उठते हैं – वाह उस्ताद!!
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₹100₹75-
प्रायः सभी महापुरुषों के बारे में अनेक किंवदंतियाँ प्रचलित हो जाती हैं, शंकर के बारे में भी प्रचलित हुईं । इन किंवदंतियों की हम अवहेलना भी कर दें तो भी उनका कृतित्व स्वयं में एक बहुत बड़ी किंवदंती के रूप में सामने आता है । जन-सामान्य में आचार्य शंकर को भगवान शंकर का अवतार माना जाता है । यदि हमारे आधुनिक संस्कार यह मानने को तैयार न हों, तब तो आचार्य का व्यक्तित्व और भी ऊँचा हो जाता है। मात्र बत्तीस वर्ष के जीवन में जो उन्होने किया वह कोई पौराणिक आख्यान नहीं अपितु इतिहास सम्मत घटना है जिसे नकारा नहीं जा सकता । शंकराचार्य ने चरमराई सामाजिक व्यवस्था को पुनर्जीवन दिया, दबे-कुचले वर्ग को सम्मान दिया, और यह स्थापित करने में सफलता पाई कि जितने भी मत समय-समय पर उभरे और अलग-अलग संप्रदायों के रूप में आकर हिन्दू समाज को विभक्त कर दिये, वो सब वास्तव में हिन्दू दर्शन में पहले से ही समाहित थे । शंकर सर्वसामान्य हुए, प्रतिष्ठित हुए । दूसरी बड़ी विचित्रता थी कि उन्होंने भीषण यात्राओं कीं।
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₹150₹100-
18 दिनों में पूरी हुई इस क़रीब 200 किलोमीटर की पैदल यात्रा के रोमांचक अनुभवों का एक गुलदस्ता है ‘इनरलाइन पास’ जो आपको ख़ूबसूरती और जोख़िमों के एकदम चरम तक लेकर जाता है।
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₹150₹100-
‘इलाहाबाद ब्लूज़’ दास्ताँ है साँस लेते उन संस्मरणों की जहाँ इतिहास, संस्कृति और साहित्य की गोद से ज़िंदगी निकल भी रही है और पल-बढ़ भी रही है। इस पुस्तक से गुज़रते हुए पाठकों को यह लगेगा कि वो अपने ही जीवन से कहीं गुज़र रहे हैं। उत्तर प्रदेश के प्रतापगढ़ की गँवई ज़मीन से शुरू हुई यह यात्रा इलाहाबाद होते हुए यूपीएससी, धौलपुर हाउस और दिल्ली तक का सफ़र तय करती है।
‘इलाहाबाद ब्लूज़’ एक मध्यमवर्गीय जीवन की उड़ान है। इसलिए इसमे जहाँ गाँव की मिट्टी की सोंधी ख़ुशबू है, वहीं इलाहाबाद की बकैती, छात्र जीवन की मसखरी और फक्कड़पन भी इस पुस्तक की ख़ासियत है। मिडिल क्लास ज़िंदगी के विभिन्न रंगों से सजे हुए संस्मरण बहुत ही रोचक एवं मनोरंजक ढंग से प्रस्तुत किए गए हैं। इसमें एक बोलती-बतियाती, जीती-जागती ज़िंदगी है, संघर्ष है, प्रेम है, पीड़ा है, अथक जिजीविषा है और अंत में कभी भी हार ना मानने का दृढ़-संकल्प है।
पहले से आख़िरी पृष्ठ तक आप कब स्वयं ‘अंजनी’ होते हुए इस पुस्तक से निकलेंगे, यह आपको एहसास ही नहीं होगा।
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₹225₹140 -
₹195₹115 -
₹150₹100-
महात्मा गाँधी पर एक नई समझ समय की ज़रूरत है। हमें लगता है कि हम गाँधीजी को जानते हैं, जबकि वैसा है नहीं। हालात तब और जटिल हो जाते हैं, जब हम देखते हैं कि विपरीत लक्ष्यों को लेकर चलने वाली विचारधाराएँ गाँधी-विचार की खंडित व्याख्याएँ करते हुए उन्हें अपने हितपोषण के लिए अपहृत करती हैं।
आज हम देखते हैं कि यत्र-तत्र गाँधीजी को लेकर सतही सूचनाओं का घटाटोप है, किंतु एक उजली और धारदार समझ उससे नहीं बन पाती है। यह पुस्तक इस अभाव की पूर्ति करती है। इसे आप गाँधी-विचार में प्रवेश की प्राथमिकी भी कह सकते हैं।
यह गाँधीजी से जुड़े महत्वपूर्ण प्रश्नों पर यथेष्ट गम्भीरता, प्रामाणिकता और सुस्पष्टता से व्याख्यान करती है और हमारे सामने उनके उचित परिप्रेक्ष्यों को प्रकट करती है। यह एक महात्मा के भीतर के मानुष को प्रकाशित करने का उद्यम भी है। इस छोटी-सी पुस्तक में गाँधीजी को समझने की सिलसिलेवार कुंजियाँ निहित हैं।
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₹199₹179-
तलाश के आलेख समाज की गहराई से जुड़े हुए हैं। बहुआयामी भारतीय समाज से लेकर वैश्विक पटल पर समाज के ताने-बाने को रेखांकित करने वाले लेख और संस्मरण बहुत रोचक हैं।
एक रचनात्मक विचारक और प्रबुद्ध लेखक के रूप में, वह बोधगम्य वास्तविकता से अवगत कराते हैं और अपने विषयों की गहरी जड़ों को दृढ़ स्पष्टता और निष्पक्षता के साथ जाँचते हैं। पाठकों को पुस्तक बहुत आकर्षक लगेगी और उद्वेलित करेगी। लेख आश्चर्यजनक रूप से कई अपरिचित तथ्यों को सामने लाती है। यह भारत में आदिवासियों की सामाजिक-आर्थिक स्थिति, ईसाई धर्म और यात्रा वृतांत पर कई नई अंतदृष्टि और अनुभव साझा करती है।
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₹200₹125 -
₹199₹179-
Turkey Travelogue
अपनी पहली साँस से लेकर अंतिम साँस तक यूँ तो हर कोई अपनी एक नियत जीवन यात्रा से गुजरता है। चाहे वो उतार-चढ़ाव वाली हो, घुमावदार हो या सीधी सपाट।
इस मायने में हर इंसान सैलानी ठहरा। लेकिन ताज्जुब ये कि अंतिम पड़ाव तक पहुँच जाने पर भी उनमें से अधिकतर ये जान नहीं पाते कि वो एक सुहाने सफ़र का हिस्सा थे। वे बस चलते चले जाते हैं, ऐसे जैसे चलता रहता है कोल्हू का बैल कोई।
इस चलने में तेल तो बनता रहता है, पता पर उनको चलता नहीं, ना ही उनकी देह के काम आ पाता है। दुनिया मगर इन जैसों के काँधों पर बैठ नहीं चलती। अपने धुर विगत इतिहास से लेकर अब तक, वो चलती-बढ़ती रही है उन खोजी-मनमौजी घुमंतु लोगों की बदौलत जो दूर-दूर तक ना जाने किस अनंत की तलाश में अथक रास्ते नापते रहे हैं।
हमारे पुरखों की उन यात्राओं से ही हमारी दुनिया का ये वर्तमान नक्शा उजागर हुआ है।
मेरी यह यात्रा भी उनके नक्शे-कदम पर चलकर उनकी यात्रा को एक कदम और आगे बढ़ाने की एक कोशिश थी। इस यात्रा वृत्तांत में दुनिया के इसी नक्शे पर ठीक दिल की जगह बसे देश तुर्की का बखान है। मैं उम्मीद करती हूँ ग्लोब का ये अनूठा दिल मेरे दिल की खिड़की में टँगकर विंडचाइम की मीठी ध्वनि की तरह आपका दिल लुभाएगा।
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₹135₹95-
जीवन के विभिन्न पहलुओं पर राष्ट्रपति अब्दुल कलाम के ओजस्वी विचार जो नई प्रेरणा देते हैं जीवन को सार्थक और सफल बनाने के लिए
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Ek Desh Barah Duniya | एक देश बारह दुनिया
₹295₹200Ek Desh barah Duniya – ‘‘जब मुख्यधारा की मीडिया में अदृश्य संकटग्रस्त क्षेत्रों की ज़मीनी सच्चाई वाले रिपोर्ताज लगभग गायब हो गए हैं तब इस पुस्तक का सम्बन्ध एक बड़ी जनसंख्या को छूते देश के इलाकों से है जिसमें शिरीष खरे ने विशेषकर गाँवों की त्रासदी, उम्मीद और उथल-पुथल की परत-दर-परत पड़ताल की है।’’ -हर्ष मंदर, सामाजिक कार्यकर्ता व लेखक ‘‘यह देश-देहात के मौजूदा और भावी संकटों से संबंधित नया तथा ज़रूरी दस्तावेज़ है।’’ आनंद पटवर्धन, डॉक्युमेंट्री फिल्मकार
‘‘इक्कीसवीं सदी के मेट्रो-बुलेट ट्रेन के भारत में विभिन्न प्रदेशों के वंचित जनों की ज़िन्दगियों के किस्से एक बिलकुल दूसरे ही हिन्दुस्तान को पेश करते हैं, हिन्दुस्तान जो स्थिर है, गतिहीन है और बिलकुल ठहरा हुआ है।’’ -रामशरण जोशी,
वरिष्ठ पत्रकार पिछले दो दशकों से पत्रकारिता में सक्रिय शिरीष खरे वंचित और पीड़ित समुदायों के पक्ष में लिखते रहे हैं। राजस्थान पत्रिका और तहलका में कार्य करते हुए इनकी करीब एक हज़ार रिपोर्ट प्रकाशित हुई हैं। भारतीय गाँवों पर उत्कृष्ट रिपोर्टिंग के लिए वर्ष 2013 में ‘भारतीय प्रेस परिषद’ और वर्ष 2009, 2013 और 2020 में ‘संयुक्त राष्ट्र जनसंख्या कोष’ द्वारा लैंगिक संवेदनशीलता पर स्टोरीज़ के लिए ‘लाडली मीडिया अवार्ड’ सहित सात राष्ट्रीय स्तर के पुरस्कारों से सम्मानित शिरीष खरे की अभी तक दो पुस्तकें ‘तहक़ीकात’ और ‘उम्मीद की पाठशाला’ प्रकाशित हो चुकी हैं।
Kal Aaj Aur Kal | कल आज और कल
₹220₹140Kal Aaj Aur Kal – हमारे समय में स्थिति कुछ ऐसी बन गयी है कि लेखक को विचार की ओर मुड़ना ही पड़ता है; सिर्फ़ रचना में नहीं बल्कि सीधे। राठी के विचार का विषय-वितान बहुत फैला हुआ है। उसमें सजगता, वस्तुनिष्ठता और आवेग के साथ अनेक मुद्दों और पहलुओं पर विचार किया गया है। — अशोक वाजपेयी
Andekhe Pahad | अनदेखे पहाड़
₹300₹190Andekhe Pahad – नीरज मुसाफिर स्वभाव से घुमक्कड़ हैं। इन्हें देश के सुदूर और दुर्गम स्थानों पर यात्रा करने और अपने यात्रा-अनुभवों को लिपिबद्ध करने का शौक है। प्रस्तुत पुस्तक “अनदेखे पहाड़” नीरज मुसाफिर की 5वीं पुस्तक है।
इसमें इन्होंने उत्तराखंड के पहाड़ों में विभिन्न साहसिक यात्राओं व ट्रैकिंग के अनुभव लिखे हैं।
1. केदारनाथ (अप्रैल 2011), 2. पिंडारी ग्लेशियर (अक्टूबर 2011), 3. गौमुख-तपोवन (जून 2012), 4. रूपकुंड (अक्टूबर 2012), 5. हर की दून (अक्टूबर 2013), 6. डोडीताल (अप्रैल 2015), 7. रुद्रनाथ (सितंबर 2015), 8. नागटिब्बा (दिसंबर 2015), 9. पंचचूली बेसकैंप (जून 2017), 10. फूलों की घाटी व हेमकुंड साहिब (जुलाई 2017), 11. पँवालीकांठा बुग्याल (सितंबर 2017), 12. चौमासी के रास्ते केदारनाथ (अगस्त 2019
Tareekh Mein Aurat | तारीख में औरत
₹400₹240Tareekh Mein Aurat – औरत ने कुदरत को सँवारकर रखने में अपनी हिस्सेदारी निभाई क्योंकि उसका जन्म ही सृजन के लिये हुआ था। उसने युद्ध नहीं रचे। उसे इसकी फ़ुरसत ही नहीं थी। तमाम तरह की विभीषिकाओं के बीच और उनके गुज़र जाने के बाद भी उसने जीवन के बीज बोए। इसके लिये उसे कभी किसी अतिरिक्त ऊर्जा की आवश्यकता नहीं रही। यह और बात है कि न जाने कब से पिलाई जाती रही त्याग, ममता और श्रद्धा की घुट्टियों ने उसके अस्तित्व को इस कदर बांधा कि वह आज तक इन्हीं छवियों में मुक्ति तलाशती आ रही है।
बहुत मुमकिन है आपने इस किताब में आने वाली औरतों में से अनेक के नाम न सुने हों। जीवन की भयानक त्रासदियों से गुज़रकर वे टूटीं, गिरीं और फिर उठकर खड़ी हुईं। ज़रूरी नहीं कि उन्हें किसी के सामने ख़ुद को किसी तरह साबित ही करना था लेकिन उन्होंने ज़िंदगी चुनी। उनमें से एक-एक हमारे ही भीतर लुक-छुपकर बैठी है, हमारे-आपके आसपास की औरत है। इस औरत ने बड़े एहतियात से तमाम शारीरिक, मानसिक और भावनात्मक संघर्षों के बीच अपनी राह बनाई है। अशोक पाण्डे इसी औरत का हाथ थाम लेते हैं। —स्मिता कर्नाटक
Something Sarpila | समथिंग सर्पीला
₹199₹175Something Sarpila – बनकिस्सा और बात बनेचर की अपार सफलता के बाद लेखक सुनील लौटे हैं उस नायक को लेकर जिसे हमारी एकपक्षीय सोच ने खलनायक बना दिया है. यह स्नेक फोबिया को फिलिया में बदल देनेवाली किताब Something Sarpila है. अब साँप से वही डरेगा जो नहीं पढ़ेगा.
Allahabad Diary । इलाहाबाद डायरी
₹299₹200‘Allahabad Diary – एक ग़ैर मामूली दास्तान’
हिंदी माध्यम के छात्रों की संघर्ष गाथा है जो सिविल सेवा परीक्षा पास करके आईएएस बनना चाहते हैं। इसी कथा के समानांतर एक दूसरी कथा एक कम उम्र की विधवा शांति की है जिसका बेटा उसे छोड़कर विदेश चला जाता है।
वैधव्य की पीड़ा, पुत्र का देश छोड़कर चले जाना और अकेलेपन की त्रासदी के बीच यह नारी पात्र आज की पीढ़ी पर वर्तमान समाज के परिप्रेक्ष्य में कई मौलिक प्रश्न खड़े करता है।
कहानी पढ़ते समय यह आभास होता है कि यह कथा न केवल समाज में अपना स्थान बनाने की ख़्वाहिश रखने वाले कुछ नवयुवकों की है बल्कि इसमें दो परिस्थितिजन्य पीड़ा से ग्रसित महिलाओं की संघर्ष गाथा भी है।
अनुराग का संघर्ष कहानी में बारीकी से चित्रित किया गया है। इस पात्र का चरित्र उदात्त चरित्र नहीं है।
अपने जीवन के लक्ष्य तक पहुँचने के लिए वह झूठ-फरेब सब करने को तैयार है। इसकी एक ही नैतिकता है- विजय, चाहे वह किसी के ध्वंस पर ही क्यों न हो। कहानी में हिंदी माध्यम के अन्य पात्र Allahabad (वर्तमान का प्रयागराज) के हिंदी माध्यम छात्र-जीवन को पूरी तरह संदर्भित करते हैं
इस परीक्षा में अँग्रेज़ी के प्रभाव और मातृभाषा के अपमान पर कई अनुत्तरित प्रश्न पर उठाते हैं।
उर्मिला का संघर्ष, शांति की पीड़ा, हिंदी माध्यम के छात्रों की अँग्रेज़ी न जानने की विवशता के मध्य एक संकल्प इन निम्न मध्यवर्गीय छात्रों का कि मैं जन्मा हूँ एक ग़ैर मामूली दास्तान के लिए, कथानक का केंद्र बिंदु है।
Allahabad University, यूनिवर्सिटी रोड, Allahabad के छोटे-छोटे मुहल्ले इस कथानक में दिखाए गए हैं।
कई पात्र इस कहानी के सजीव हैं जिनको आम जीवन से उठाया गया है। अगर ऐसा कहा जाए कि इस कहानी के पात्र कुछ अलग नाम और क़द-काठी के साथ आज भी Allahabad के छात्रावासों और डेलीगेसियों में साँसें ले रहे तो शायद यह अतिशयोक्ति न होगी।
यह भावना के धरातल पर लिखा गया उपन्यास है जिसमें भावनाएँ अक्सर प्रधान हो जाती हैं और पात्रों से अधिक पात्रों की भावनाएँ मस्तिष्क को प्रभावित करने लगती हैं।
Lal Rekha | रेखा
₹225₹170Lal Rekha – लाल रेखा हिन्दी के लोकप्रिय उपन्यासों में मील का पत्थर है जिसने बड़े पैमाने पर हिन्दी के पाठक बनाए। 1950 में लिखे इस उपन्यास में उस समय हिन्दी उपन्यास की जितनी धाराएँ थीं, सभी को एक साथ इसमें समाहित किया गया है।
Waah Ustad | वाह उस्ताद
₹250₹185Waah ustad – ताल गया तो बाल गया सुर गया तो सर गया ऐसी होती है भारतीय शास्त्रीय संगीत के घरानों की परंपरा – जहाँ संगीत के हर एक पहलू पर इतना बारीकी से ध्यान दिया जाता है। वर्षों की कड़ी मेहनत और रियाज़ से ही बन पाता है कोई ऐसा गायक कि जिसे सुनकर श्रोता कह उठते हैं – वाह उस्ताद!!
Premtirth | प्रेमतीर्थ
₹165₹130प्रेमतीर्थ – एक जुझारू राजनेता और गुजरात के सफल मुख्यमन्त्री के रूप में नरेन्द्र मोदी से सभी परिचित हैं। लेकिन बहुत कम लोग यह जानते होंगे कि नरेन्द्र मोदी एक लेखक भी हैं। अपनी युवावस्था में लिखी संवेदना से भरी उनकी ये कहानियाँ प्रेम और अनुराग के अलग-अलग पहलुओं को दर्शाती हैं। नरेन्द्र मोदी का मानना है कि मातृप्रेम की समस्त प्रेम का स्रोत है और उससे बढ़कर कोई सच्चा प्रेम नहीं है। मनुष्य के बीच अलग-अलग प्रेम इसी मातृप्रेम के विभिन्न रूप हैं, चाहे वह प्रेम दो दोस्तों में हो, एक अध्यापक का अपने छात्र के लिए, एक डाक्टर का अपने मरीज़ के लिए या फिर एक पति का अपनी पत्नी के लिए हो। ये कहानियाँ पढ़कर आश्चर्य होता है कि इतने शक्तिशाली राजनीतिक व्यक्तित्व के पीछे इतना कोमल हृदय धड़कता है। ये कहानियाँ नरेन्द्र मोदी के बहुआयामी व्यक्तित्व का एक और पहलू उजागर करती हैं। गुजराती से हिन्दी में इन कहानियों का अनुवाद गुजरात केन्द्रीय विश्वविद्यालय के प्रोफेसर एवं विभागाध्यक्ष आलोक गुप्त ने किया है। हर कहानी पर गुजरात के एक विशिष्ट लेखक की समीक्षा है जो इस संग्रह की शोभा बढ़ाती है।
प्रेरणात्मक विचार (Inspiring Thoughts)
₹135₹95जीवन के विभिन्न पहलुओं पर राष्ट्रपति अब्दुल कलाम के ओजस्वी विचार जो नई प्रेरणा देते हैं जीवन को सार्थक और सफल बनाने के लिए