About Sahitya Vimarsh हमारा दर्शन
साहित्य विमर्श प्रकाशन, वह मंच है, जो भाषा-विशेष, विधा-विशेष, क्षेत्र-विशेष, लेखक-विशेष आदि बंधनो से पाठकों, लेखकों एवं प्रकाशकों को आजादी प्रदान करता है। हम प्रकाशन व्यवसाय के तीन स्तंभ – पाठक, लेखक एवं प्रकाशक को एक साथ लेकर चलने के लिए प्रतिबद्ध हैं।
पाठकों को कम से कम दर में उच्चकोटि की पठन-सामग्री मुहैया कराना, लेखकों के मन के भाव व उनकी कलम की कार्यकुशलता को उचित स्थान देना एवं प्रकाशकों और उनकी पुस्तकों को अधिकाधिक पाठकों तक पहुंचाना।
प्रकाशन क्षेत्र में मौजूद कई कमियों को दूर करने एवं पाठक, लेखक और प्रकाशक के बीच की खाई को पाटने के लिए पुल का कार्य करने के लिए साहित्य विमर्श का गठन किया गया है।
साहित्य विमर्श किसी क्रांति का वादा तो नहीं करता, लेकिन पाठकों तक वाजिब कीमत पर विश्वस्तरीय लेखन पहुंचाने का वादा जरूर करता है। लेखकों से कहता है कि आपकी लेखनी में अगर दम है, तो हम आपको वो मुकाम दिलाएंगे जिसके आप हकदार हैं। प्रकाशकों का आवाहन करता है कि वे आगे आएं एवं इस प्लेटफॉर्म का इस्तेमाल कर अधिकाधिक पाठकों तक अपनी पुस्तक को पहुंचाएं।
‘साहित्य विमर्श’ का नाम ही इस संस्था के मंतव्य को उजागर करता है। साहित्य विमर्श यानी साहित्य से जुड़ी हर छोटी-बड़ी कहानी, लेख, किस्सागोई या अफ़सानागिरी और इनके रचयिता साहित्य विमर्श को बनाने में भागीदार है।

कंचन भारद्वाज

निलेश पवार 'विक्रम'

राजीव रंजन सिन्हा

शेख राशीद

अभिषेक राजावत 'अभिराज'

आनंद कुमार सिंह

हितेष रोहिल्ला

मनीष कुमार

नीति रंजन सिन्हा

राघवेन्द्र सिंह

राजीव रोशन

सिद्धार्थ अरोड़ा 'सहर'
