राय प्रवीना पर पर बहुत कम सामग्री उपलब्ध है, ऐसे में लेखक और प्रकाशक दोनों का एक सराहनीय कदम….
(0)(0)
Rishabh Rawat
Reviewer
यह पुस्तक शुरू से लेके अंत तक ज़रा भी बोरियत महसूस नहीं होने देती। अत्यधिक लोभनीय पुस्तक।
(0)(0)
Nilesh Pawar
Reviewer
बहुत दिनो बाद कोई ऐसी किताब पढ़ी जिसने मुगल काल के समय से परिचित करवाया।
निः संदेह राय प्रवीन की बहुमुखी प्रतिभा को पाठको तक पहुंचने में लेखक सुधीर मौर्य की मेहनत प्रशंसा योग्य है।
बुंदेलखंड के गौरव को बढ़ाने वाली राय प्रवीन के साथ साथ राजा इंद्रजीत, वीर सिंह, कवि केशव और अब्दुल रहीम खानखाना के वीरोचित गुणों को सामने लाने का महती कार्य यह किताब करती है।
(0)(0)
सिद्धार्थ अरोड़ा ‘सहर’
Reviewer
इस तरह की भाषा, इतिहास का ज्ञान और हिम्मत हौसले की दास्तान छपती रहनी चाहिए। बहुत बढ़िया।
(0)(0)
Sorry, no reviews match your current selections
Add a review
Indrapriya
Rating*
0/5
* Rating is required
Your review
* Review is required
Name
* Name is required
Email
* Email is required
* Please confirm that you are not a robot
Indrapriya – ऐतिहासिक उपन्यास इंद्रप्रिया, अपने समय की सर्वाधिक सुन्दर स्त्री, एकनिष्ठा नर्तकी, कुशल कवियत्री, समर्पित प्रेयसी, ओरछा की राय प्रवीना की केवल कथा भर नहीं है, अपितु यह दस्तावेज है,
उस वीरांगना का जिसने कामुक शहंशाह अकबर के मुग़ल दरबार में अपनी विद्वता से न केवल अपनी अस्मिता की रक्षा की बल्कि उसने अकबर को पराजित भी किया.
सुधीर मौर्य का जन्म उत्तर प्रदेश के औद्योगिक एवं साहित्यिक शहर कानपुर में हुआ।
आपकी शिक्षा कानपुर एवं लखनऊ में हुई। आज कल आप मुंबई में एक निजी कंपनी में प्रबंधक के तौर पर कार्यरत हैं। बचपन से ही इन्हें पढ़ने और लिखने का शौक रहा। अपने इसी शौक के चलते हैं सुधीर मौर्य ने कहानियाँ और उपन्यास लिखने आरंभ किये। उनकी कुछ प्रमुख कृतियाँ ये हैं-हो ना हो (काव्य संग्रह), अधूरे पंख, कर्ज और अन्य कहानियाँ, एंजेल जिया, एक बेबाक लड़की (सभी कहानी संग्रह), एक गली कानपुर की, अमलतास के फूल, अरीबा, स्वीट सिक्सटीन, माय लास्ट अफेयर, वर्जित, मन्नत का तारा,संकटा प्रसाद के किस्से (सभी उपन्यास), देवलदेवी,हम्मीर हठ, इंद्रप्रिया (सभी ऐतिहासिक उपन्यास)
पहला शूद्र, बली का राज आए, रावण वध के बाद, मणिकपाला महासम्मत (सभी पौराणिक उपन्यास)
इसके अतिरिक्त सुधीर मौर्य की कहानियों कविताओं का प्रकाशन विभिन्न पत्र-पत्रिकाओं में हुआ है।
राय प्रवीना पर पर बहुत कम सामग्री उपलब्ध है, ऐसे में लेखक और प्रकाशक दोनों का एक सराहनीय कदम….
यह पुस्तक शुरू से लेके अंत तक ज़रा भी बोरियत महसूस नहीं होने देती। अत्यधिक लोभनीय पुस्तक।
बहुत दिनो बाद कोई ऐसी किताब पढ़ी जिसने मुगल काल के समय से परिचित करवाया।
निः संदेह राय प्रवीन की बहुमुखी प्रतिभा को पाठको तक पहुंचने में लेखक सुधीर मौर्य की मेहनत प्रशंसा योग्य है।
बुंदेलखंड के गौरव को बढ़ाने वाली राय प्रवीन के साथ साथ राजा इंद्रजीत, वीर सिंह, कवि केशव और अब्दुल रहीम खानखाना के वीरोचित गुणों को सामने लाने का महती कार्य यह किताब करती है।
इस तरह की भाषा, इतिहास का ज्ञान और हिम्मत हौसले की दास्तान छपती रहनी चाहिए। बहुत बढ़िया।