आपके संदेश
I congratulate the team for the initiative taken, which will further serve as a tool of sharing stories, innovations, ideas, knowledge and expertise and thereby overall enhancing the readers with a wide choice of topics.
I firmly believe Sahitya-Vimarsh has a key role in future in enabling the readers and authors together with some of the beautifully presented stories in different languages.
I also believe that the publication will become a valuable platform for promoting collaboration and sharing various forms of stories and insights of specialists and distinguished scholars around.
In this spirit, I welcome warmly the launch of Sahitya – Vimarsh publication by you. It is a timely initiative that will support our authors and empower them.
I would like to extend my sincere congratulations and best wishes for success of Sahitya-Vimarsh and I hope it will contribute to the development of the field and encourage those who are involved.

हमेशा से सुनता आया हूं कि किताबें हमारी सबसे अच्छी दोस्त और मार्गदर्शक होती हैं, और किताबें साहित्य की हों तो सोने पे सुहागा। आज के इस दौर में जब इंसान कई सारे उतार चढ़ाव से गुज़र रहा है, तो साहित्य विमर्श का ये प्रयास हर किसी को एक अच्छा दोस्त, मार्गदर्शक और जीवन को नई दृष्टि से देखने की प्रेरणा दे सकता है। इस सराहनीय कार्य के लिए मेरी तरफ़ से हार्दिक शुभकामनाएं

नए लेखकों के लिये छपना एक सपना होता है जिसे पूरा करने में कई बार लिखने से भी अधिक मेहनत करनी पड़ जाती है और साथ ही कई प्रकाशक उनसे प्रकाशन के लिये पैसे भी लेते हैं। साहित्य विमर्श ऐसे लेखकों के लिये वरदान की तरह है जहां प्रकाशन का निर्णय लेखन-कार्य के मूल्यांकन के आधार पर होता है न कि आर्थिक आधार पर। साहित्य विमर्श टीम को बहुत शुभकामनायें।

When a group of young, talented authors form a team and become publishers, then it certainly is a bold, brave and responsible step raising huge expectations among the aspiring writers.
Wishing them all the best, I would love to see them succeed becoming Big publishers soon, helping and reaching out to all young writers.”

हिन्दी प्रकाशन क्षेत्र में इस तरह के प्रयासों की बहुत आवश्यकता है जहाँ लेखकों का ध्यान रखा जाए और पाठकों तक उम्दा लेखन कम कीमत पर पहुँचाया जा सके। इस क्षेत्र में नवाचार और नए विचारों की गंभीर कमी है। मेरी आशा है कि ‘साहित्य विमर्श’ इस दिशा में आरम्भ किए अपने प्रयास को आगे ले जाते हुए नित नई ऊँचाईयाँ प्राप्त करेगा।

पिछले कुछ वर्षो में जब से तकनीक से जुड़े युवा हिंदी साहित्य में प्रवेश करने लगे, तब से हिंदी साहित्य नवीनीकरण के दौर से गुज़र रहा है. हिंदी साहित्य का प्रकाशन भी इस वक्त बदलाव के दौर से गुज़र रहा है.
ऐसे समय में हिंदी साहित्य से जुड़े कुछ युवा जब प्रकाशन शुरू करते है तो उम्मीद बनती है कि वह पुराने ढर्रे से चल रहे व्यवसाय को नयी दिशा प्रदान करेंगे. जो एक तरह का क्लोज्ड सर्किल बना हुआ है, वह टूटेगा. नए लेखकों को मौका मिलेगा और हिंदी साहित्य दूर दूर तक पहुँचेगा.
इसी पहल में कुछ युवा जो बुक बाबू नाम का साहित्यिक ग्रुप चलाते हैं, उन्होंने और कुछ अन्य साहित्य प्रेमियों के साथ मिलकर साहित्य विमर्श प्रकाशन की स्थापना की है.
इस प्रकाशन से मुझे बहुत उम्मीदे हैं कि यह प्रकाशन तकनीक के साथ कदम ताल तो मिलाएगा ही, साथ ही साथ जमीन से जुड़कर प्रकाशन व्यवसाय को नए आयाम देगा. मैं सभी लेखको और पाठको से आग्रह करता हूँ कि इस तरह की बेहतरीन पहल से अवश्य जुड़े और इन युवा साथियों को सहयोग प्रदान करे.

किसी भी नए रचनाकार के लिए उसकी रचनाएँ उतनी ही महत्वपूर्ण होती हैं जितनी की किसी स्थापित रचनाकार की। बहुत लोग ऐसे हैं जो इतना अच्छा काम कर रहे हैं कि उनको काम सामने आना ही चाहिए पर बहुत सारी जटिलताओं के चलते कभी-कभी हतोत्साहित भी हो जाते हैं। ऐसे में कुछ नए पब्लिकेशन हाउस सामने आ रहे हैं जो नए रचनाकारों के लिए दिल से काम करना चाहते हैं ऐसा ही एक हैं साहित्य विमर्श।
साहित्य के क्षेत्र में सार्थक काम करने के लिए और हम सब तक अच्छा साहित्य उपलब्ध कराने की इस मुहिम के लिए, मेरी बहुत-बहुत शुभकामनाएँ साहित्य विमर्श की पूरी टीम को।

एक छोटे से कदम से ही एक लंबे सफ़र की शुरूवात होती है। ‘साहित्य विमर्श’ निशुल्क प्रकाशन के सफर में ऐसा ही एक छोटा सा कदम है जो आने वाले समय में मील का पत्थर साबित हो सकता है। मैं आशा करता हूँ कि ‘साहित्य विमर्श’ पारम्परिक साहित्य लेखन को बढ़ावा देने के साथ साथ आधुनिक लेखन को स्थापित करने में भी अहम भूमिका निभाएगा व नए लेखकों का एक मार्गदर्शक के रूप में पथ प्रशस्त करेगा। ‘साहित्य विमर्श’ को मेरी ओर से अशेष शुभकामनाएँ।

लिख लेना तो बहुत सरल है जटिल है उसका छप पाना। साहित्य विमर्श ने ये जो पहल शुरू की है बगैर लेखक से पैसा लिये उसके लिखे को छापने की इसके लिये उन्हें बहुत बधाई।हर्ष इस बात का है कि यहाँ योग्यता को अवसर मिलेगा।साहित्य विमर्श की पूरी टीम को मेरी अशेष शुभकामनाएँ… दिन दूनी रात चौगुनी उन्नति करें और हम सभी को अच्छी साहित्यिक कृतियाँ दें।

किसी भीड़ में शामिल होकर भीड़ के धक्के के सहारे आगे बढ़ने का मज़ा अलग है, ये आपको मुम्बई की लोकल ट्रेन में मिल जाएगा। लेकिन साहित्य की भीड़ में कुछ अलग करना ऐसा होता है कि या तो लोग आपको अकेला छोड़ देते हैं या फिर आपके सफल होने का इंतज़ार करते हैं ताकि वो आपसे जुड़े। इस अलग करने वालें में लेखक भी हैं और प्रकाशक भी। और ऐसे ही प्रकाशक है साहित्य विमर्श, जो हर लेखक को भीड़ से निकालकर अपने साथ एक मुकाम देना चाहते हैं। आसान नहीं है लेकिन मुश्किल तो तभी तक है जब तक कदम रुके हुए हों। साहित्य विमर्श एक ऐसी ऊर्जा और सोच के साथ सामने आ रहा है जिसकी आज सबसे ज़्यादा ज़रूरत है। मेरी दिली शुभकामनाएँ इनके साथ है।

आज हर शख्स अपने अंदर खयालों का समंदर लिए घूम रहा है । कुछ लोग इन खयालों को बोल कर मन पूरा कर लेते हैं तो वहीं कुछ लोग इन खयालों को शब्दों में पिरो कर कागज़ पर बिखेर देते हैं । ज़्यादा खोजना नहीं है बस इस फ़ेसबुक पटल पर ही नज़र घुमा लें तो आपको कई ऐसे नवांकुर मिल जाएंगे जिनमें लेखन के क्षेत्र में कुछ अलग और बड़ा करने की क्षमता है ।
लेकिन समस्या ये है कि ये आगे कैसे बढ़ें ? नए बच्चे हैं, अपना खर्च बामुश्किल चला रहे हैं तो भला पुस्तक प्रकाशन का खर्च कैसे उठा सकेंगे । ऐसे में उन सभी नए लेखकों के लिए एक सुनहरा मौका सामने आया है। आप जैसे लेखकों से सजी एक टीम अब प्रकाशन के रूप में आपके सामने है जो आपकी दिक्कतों को भी समझती है और आपके लिखने के जुनून को भी । यहां आपको केवल अपने लेखन का जादू दिखाना है, बाक़ी जिम्मेदारी प्रकाशन संभालेगा ।
कुछ ही समय में ये प्रकाशन एक बड़े स्तर पर होगा और उन सभी लेखकों तक पहुंच पाएगा जो लेखन में कमाल तो कर सकते हैं लेकिन प्रकाशन के मोटे शुल्क के कारण अपने शौक को मार लेते हैं ।

“ साहित्य विमर्श प्रकाशन “ का उदय साहित्य के फलक पर छाई धुंध के बीच हम नवलेखकों की बहुत सी उम्मीदों के साथ हो रहा हैं .
उम्मीद की बड़े प्रकाशकों के दर पर नवलेखकों को उनकी लघुता का एहसास नहीं कराया जाएगा और स्थापित लेखकों और प्रकाशकों बीच परदेदारी नहीं पारदर्शिता होगी . उम्मीद की कलम के साथियों को अपने शब्दों को किताब की शक्ल में बदलने के लियें खुद को खर्च नहीं करना होगा बल्कि उन्हें उनकी कलम का सम्मान के साथ सही मोल मिलेगा .
“ साहित्य विमर्श प्रकाशन “ क्रान्ति का दूत नहीं सही लेकिन वाहक अवश्य बनेगा और साहित्य सेवा के साथ- साथ अनेक शब्दकारों के सपनों को साकार करने में सहायक बनेगा इसे भरोसे के साथ “साहित्य विमर्श “ के सभी उर्जावान साथियों को शुभकमनायें एवं स्नेह .

” साहित्य विमर्श – उत्कृष्ट साहित्य के प्रसार के लिए समर्पित “! छोटा सा बीज ही घना छायादार वृक्ष बनता है और बीज बो दिया गया है। अब इसकी छाँव का आनंद हर वो पाठक ले पाएगा जो अच्छी किताबों को पढ़ना चाहता है। साहित्य की बहती ज्ञान गंगा के किनारे हर लेखक और हर पाठक को विश्राम और आगे की यात्रा का मार्ग मिले, इसी विश्वास के साथ उज्ज्वल भविष्य की शुभकामना!!!

Dear SV team,
I recently came across your website. Loved this initiative so much!!! These days all the major publication houses are focussed on very narrow set authors who they believe can “sell”. In that set of selling authors, thrust has always been on finding authors who can cater to the sensibilities of people in metro cities and write English.
In these times, initiatives like Sathiya Vimarsh feel like an earthy scent of breeze after a heavy rain. By focussing on new authors in vernacular language SV team is trying to fill a serious market gap both for the new authors and for the vernacular readers of _Bharat. _ Just one feedback from my side, in future as your resources get freed up. I would recommend that the SV team should take this initiative to other languages as well. We have a treasure trove of stories in other Indian languages remaining t0 be discovered. Hope to discover those riches with SV.
I wholeheartedly wish the entire SV team a huge success for their upcoming publications.
