छत्तीसगढ़ की आदिवासी संस्कृति को दर्शाती एक बेहतरीन पुस्तक।
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Girish Kumar
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बहुत रोचक और नए प्रकार की किताब।
समाज को समझने के लिए जिस अंतर्दृष्टि की आवश्यकता होती है उसे लेखक ने प्राप्त कर लिया है।
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तलाश के आलेख समाज की गहराई से जुड़े हुए हैं। बहुआयामी भारतीय समाज से लेकर वैश्विक पटल पर समाज के ताने-बाने को रेखांकित करने वाले लेख और संस्मरण बहुत रोचक हैं।
एक रचनात्मक विचारक और प्रबुद्ध लेखक के रूप में, वह बोधगम्य वास्तविकता से अवगत कराते हैं और अपने विषयों की गहरी जड़ों को दृढ़ स्पष्टता और निष्पक्षता के साथ जाँचते हैं। पाठकों को पुस्तक बहुत आकर्षक लगेगी और उद्वेलित करेगी। लेख आश्चर्यजनक रूप से कई अपरिचित तथ्यों को सामने लाती है। यह भारत में आदिवासियों की सामाजिक-आर्थिक स्थिति, ईसाई धर्म और यात्रा वृतांत पर कई नई अंतदृष्टि और अनुभव साझा करती है।
श्री विनय प्रकाश तिर्की, छत्तीसगढ़ में वरिष्ठ शासकीय अधिकारी हैं । श्री तिर्की समसामयिक विषयों में गहरी पकड़ रखते हैं । देश-विदेश घूम कर संस्कृतियों के गहन अध्ययन, उनकी सामाजिक सोच, राजनैतिक स्थितियों, उनकी परंपराएं और उनके पीछे की वजहों को जानने की उत्कंठा से प्रेरित श्री तिर्की, साल के दो माह, अपनी छुट्टियों में यायावर हो जाते हैं । अपनी इसी यायावरी प्रवृत्ति से संचालित श्री तिर्की ने 20 से अधिक देशों की यात्राएं की हैं और अपने यात्रा संस्मरणों में इन्हें शामिल किया है ।
छत्तीसगढ़ के आदिवासी बहुल जशपुर जिले के सुदूरवर्ती क्षेत्र से ताल्लुक रखने वाले श्री तिर्की ने जीवन में लम्बा सफर तय किया है, कड़े संघर्षों से तपकर उन्होंने वर्तमान सामाजिक स्वीकारोक्ति प्राप्त की है । श्री तिर्की ने शासकीय अधिकारी के रूप में लम्बे कार्यकाल में जो देखा, अपने आस-पास घटते घटनाक्रम से जो समझा, उन्हीं को शब्दों का रूप देने का प्रयास करते रहे, प्रारम्भ में शौकिया तौर पर किए जाने वाले इस कार्य को गंभीरता तब मिली जब 1994 में उनके द्वारा भेजा लेख “डोडो की तरह विलुप्त होती बिरहोर जनजाति” दैनिक नव भारत में प्रकाशित हुआ । इसके बाद तो श्री तिर्की लगातार देश की विभिन्न पत्र-पत्रिकाओं में प्रकाशित होते ही रहे । उनके इन्हीं लेखों का संग्रह यह पुस्तक “तलाश” है ।
फॉर्मैट
पेपरबैक
भाषा
हिंदी
Number of Pages
234
Q & A
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