हिन्दयुग्म प्रकाशन
₹299 ₹240 (-20%)
In stock
महाभारत आधारित पौराणिक रहस्य गाथा का यह पाँचवाँ और अंतिम चरण है। चिरंजीवियों और मुमुक्षुओं के बीच युगों पुराने युद्ध को समाप्त करने की सनक में जयंत साक्षी का सामना करते हुए रोहन की वसीयत के उस अंतिम सच तक पहुँच गया जिसमें श्रीमंत परिवार और उसकी मुक्ति थी।
लेकिन उसकी मुक्ति में सिर्फ साक्षी ही आखिरी बाधा नहीं था।
सौरभ कुदेशिया पिछले बीस वर्षों से पेशेवर लेखक और मैनेजर के तौर पर विभिन्न मल्टीनेशनल कंपनियों से जुड़े रहे हैं। अपने पेशेवर कैरियर में इन्होंने भारत, चीन, अमेरिका, और यूरोप में अनेक टीम और अनगिनत प्रोजेक्ट्स का संचालन किया है। नेशनल और इंटरनेशनल स्तर पर अनगिनत विषयों पर कई शोध-पत्र प्रस्तुत करने के साथ इन्होंने अनगिनत राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय संस्थानों के लिए स्वयंसेवक के तौर पर अपनी सेवाएँ प्रदान की हैं। बिरला इंस्टीवट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी एंड साइंस पिलानी, आईआईएम बेंगुलुरु, सिम्बायोसिस पुणे से पोस्ट ग्रैजुएट सौरभ वर्तमान में बेंगुलुरु की एक कंपनी में डायरेक्टर का पदभार संभाले हुए हैं।
Weight | 213 g |
---|---|
Dimensions | 21 × 14 × 2 cm |
फॉर्मैट | पेपरबैक |
भाषा | हिंदी |
Number of Pages | 286 |
Reviews
There are no reviews yet.