बच्चों की फ़िक्र करने की बात तो बहुत लोग करते हैं लेकिन वाकई साहित्य में इन दिनों बच्चों के लिए क्या हो रहा है? कुछ खास नहीं!
ऐसे में बाल कथाओं को फिर से छापना, देश तक पहुँचाना भी कोई छोटा काम नहीं!
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शेख राशीद
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दिग्गज लेखक, उपन्यास शिरोमणि सुरेन्द्र मोहन पाठक साहब का अनुपलब्ध बाल उपन्यास उपलब्ध कराने के लिए साहित्य विमर्श का धन्यवाद. लम्बे समय से पाठक इस उपन्यास का इन्तेजार कर रहे थे, कलेक्शन करने वालों के लिए तो ये किसी लाटरी से कम नहीं, धन्यवाद आपका….
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Kubdi Budhiya Ki Haveli
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Kubdi Budhiya Ki Haveli | कुबड़ी बुढ़िया की हवेली – एक पुरानी हवेली जिसका घंटा कभी-कभी अँधेरी रातों में अपने आप बजने लगता था। राजू, मुन्नी और भोला को लगता था कि कहानियों में पढ़ी गयी ज्यादातर पुरानी हवेलियों की तरह इस हवेली में भी कोई न कोई गुप्त रास्ता अवश्य है। गुप्त रास्ते की तलाश में तीनों बच्चे पहुँच गये एक रोमांचक और खतरनाक रहस्य की तह तक। क्या था कुबड़ी बुढ़िया की हवेली का रहस्य जिसके कारण तीनों बच्चों की जान पर बन आई।
अपराध कथा लेखन के बेताज बादशाह सुरेन्द्र मोहन पाठक की कलम से खास तौर पर बच्चों के लिए लिखा गया रोमांचक उपन्यास।
सुरेन्द्र मोहन पाठक का जन्म 19 फरवरी, 1940 को पंजाब के खेमकरण में हुआ था। विज्ञान में स्नातकोत्तर उपाधि हासिल करने के बाद उन्होंने भारतीय दूरभाष उद्योग में नौकरी कर ली। युवावस्था तक कई राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय लेखकों को पढ़ने के साथ उन्होंने मारियो पूजो और जेम्स हेडली चेज़ के उपन्यासों का अनुवाद शुरू किया। इसके बाद मौलिक लेखन करने लगे। सन 1959 में, आपकी अपनी कृति, प्रथम कहानी “57 साल पुराना आदमी” मनोहर कहानियां नामक पत्रिका में प्रकाशित हुई। आपका पहला उपन्यास “पुराने गुनाह नए गुनाहगार”, सन 1963 में “नीलम जासूस” नामक पत्रिका में छपा था। सुरेन्द्र मोहन पाठक के प्रसिद्ध उपन्यास असफल अभियान और खाली वार थे, जिन्होंने पाठक जी को प्रसिद्धि के सबसे ऊंचे शिखर पर पहुंचा दिया। इसके पश्चात उन्होंने अभी तक पीछे मुड़ कर नहीं देखा। उनका पैंसठ लाख की डकैती नामक उपन्यास अंग्रेज़ी में भी छपा और उसकी लाखों प्रतियाँ बिकने की ख़बर चर्चा में रही। उनकी अब तक 313 पुस्तकें प्रकाशित हो चुकी हैं। उनका नवीनतम उपन्यास जीत सिंह सीरीज का ‘दुबई गैंग’ है। उनसे smpmysterywriter@gmail.com पर सम्पर्क किया जा सकता है। पत्राचार के लिये उनका पता है : पोस्ट बॉक्स नम्बर 9426, दिल्ली – 110051.
बच्चों की फ़िक्र करने की बात तो बहुत लोग करते हैं लेकिन वाकई साहित्य में इन दिनों बच्चों के लिए क्या हो रहा है? कुछ खास नहीं!
ऐसे में बाल कथाओं को फिर से छापना, देश तक पहुँचाना भी कोई छोटा काम नहीं!
दिग्गज लेखक, उपन्यास शिरोमणि सुरेन्द्र मोहन पाठक साहब का अनुपलब्ध बाल उपन्यास उपलब्ध कराने के लिए साहित्य विमर्श का धन्यवाद. लम्बे समय से पाठक इस उपन्यास का इन्तेजार कर रहे थे, कलेक्शन करने वालों के लिए तो ये किसी लाटरी से कम नहीं, धन्यवाद आपका….