आज के OTT के जमाने में भी ये उपन्यास एक बेहतरीन मनोरंजन का साधन बना हुआ है। पहले तो था ही। शब्दो से जिस्म में जो सिहरन पैदा हो सकती है वो इसे पढ़ कर आप जान सकते है। मोबाइल उठाना भूल जाएंगे एक बार इसे पढ़ना शुरू किया तो।
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Sam
Reviewer
Rated 5 out of 5
Maine haal men hi Surender Pathak kee kitaben padhni shuru kee hain. Jadoogarni ko padhne ke liye bhi mangwaya. Ek behtareen rachna lagi Lekhak kee. Reporter sunil kumar kee shaandar chhaanbeen aur anupama ke bichhaaye jaal ne is upanyaas ko yaadgaar bana diya hai. Must read for everyone’s.
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Jadugarni
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Jadugarni -अनुपमा अपने नाम को सार्थक करती थी। उसकी कोई उपमा नहीं थी। उसके बारे में सिर्फ ये कह देना काफी नहीं था कि वो इंतहाई खूबसूरत थी। वो मोनालिसा थी, क्लोपेट्रा थी, वीनस थी। वो जादूगरनी थी। वो किसी को तोता बनाकर पिंजरे में बंद कर सकती थी। मक्खी बना कर दीवार से चिपका सकती थी। अनुपम सौन्दर्य की मालकिन अनुपमा। जब इस अनुपम सौन्दर्य की जुगलबंदी उसके खतरनाक दिमाग से हुई तो जैसे कहर बरपा हो गया। क्या कोई उसके जादू से बच पाया? ‘सुनील सीरीज’ का यादगार उपन्यास! सुरेन्द्र मोहन पाठक की करिश्माई लेखनी पूरे जलाल पर। साहित्य विमर्श प्रकाशन की गौरवशाली प्रस्तुति।
सुरेन्द्र मोहन पाठक का जन्म 19 फरवरी, 1940 को पंजाब के खेमकरण में हुआ था। विज्ञान में स्नातकोत्तर उपाधि हासिल करने के बाद उन्होंने भारतीय दूरभाष उद्योग में नौकरी कर ली। युवावस्था तक कई राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय लेखकों को पढ़ने के साथ उन्होंने मारियो पूजो और जेम्स हेडली चेज़ के उपन्यासों का अनुवाद शुरू किया। इसके बाद मौलिक लेखन करने लगे। सन 1959 में, आपकी अपनी कृति, प्रथम कहानी “57 साल पुराना आदमी” मनोहर कहानियां नामक पत्रिका में प्रकाशित हुई। आपका पहला उपन्यास “पुराने गुनाह नए गुनाहगार”, सन 1963 में “नीलम जासूस” नामक पत्रिका में छपा था। सुरेन्द्र मोहन पाठक के प्रसिद्ध उपन्यास असफल अभियान और खाली वार थे, जिन्होंने पाठक जी को प्रसिद्धि के सबसे ऊंचे शिखर पर पहुंचा दिया। इसके पश्चात उन्होंने अभी तक पीछे मुड़ कर नहीं देखा। उनका पैंसठ लाख की डकैती नामक उपन्यास अंग्रेज़ी में भी छपा और उसकी लाखों प्रतियाँ बिकने की ख़बर चर्चा में रही। उनकी अब तक 313 पुस्तकें प्रकाशित हो चुकी हैं। उनका नवीनतम उपन्यास जीत सिंह सीरीज का ‘दुबई गैंग’ है। उनसे smpmysterywriter@gmail.com पर सम्पर्क किया जा सकता है। पत्राचार के लिये उनका पता है : पोस्ट बॉक्स नम्बर 9426, दिल्ली – 110051.
Weight
230 g
Dimensions
14 × 2 × 21 cm
Q & A
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सुरेन्द्र मोहन पाठक के विमल सिरीज़ का (1) सदा नगारा कूच का और (2) जो लरे दीन के हेत उपन्यासों को ओनलाईनखरीदना है. कैश ओन डेलीवरी सुविधा के साथ. धन्यवाद. ज्ञानेन्द्र प्रकाश.Gyanendra Prakash asked on September 1, 2023
क्षमा करें, ये किताबें हमारे पास उपलब्ध नहीं हैं।
Happy Reading answered on September 6, 2023store manager
good
आज के OTT के जमाने में भी ये उपन्यास एक बेहतरीन मनोरंजन का साधन बना हुआ है। पहले तो था ही। शब्दो से जिस्म में जो सिहरन पैदा हो सकती है वो इसे पढ़ कर आप जान सकते है। मोबाइल उठाना भूल जाएंगे एक बार इसे पढ़ना शुरू किया तो।
Maine haal men hi Surender Pathak kee kitaben padhni shuru kee hain. Jadoogarni ko padhne ke liye bhi mangwaya. Ek behtareen rachna lagi Lekhak kee. Reporter sunil kumar kee shaandar chhaanbeen aur anupama ke bichhaaye jaal ne is upanyaas ko yaadgaar bana diya hai. Must read for everyone’s.