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बिभूति भूषण बंद्योपाध्याय अनुवाद: जयदीप शेखर

साहित्य विमर्श प्रकाशन

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किताब के बारे में

Chand Ka Pahad – चाँद का पहाड़ गाथा है 1909 के एक भारतीय किशोर शंकर रायचौधरी की, जो साहसिक जीवन जीना चाहता था। संयोगवश वह जा पहुँचता है अफ्रीका, जिसे उन दिनों ‘अन्ध महादेश’ कहा जाता था, यानि जिसके अधिकांश हिस्सों तक मनुष्य के चरण अभी नहीं पहुँचे थे!

वहाँ संयोगवश ही उसकी मुलाकात पुर्तगाली स्वर्णान्वेषी दियेगो अलवरेज से हो जाती है। दोनों मध्य अफ्रीका की दुर्लंघ्य रिख्टर्सवेल्ड पर्वतश्रेणी में स्थित पीले हीरे की खान की खोज में निकल पड़ते हैं, जिसके बारे में मान्यता थी कि एक भयानक दैत्य ‘बुनिप’ उसकी रक्षा करता है!

कैसा रहा यह अभियान? क़्या वे सफल हो सके?

महान बांग्ला लेखक बिभूतिभूषण बन्द्योपाध्याय की रहस्य-रोमांच से भरपूर अमर रचना ‘चाँदेर पाहार’ (1937) का हिन्दी अनुवाद है चाँद का पहाड़, जिसे कि बाल-किशोरों के लिए ‘अवश्य पढ़ें’ की श्रेणी में रखा जा सकता है।