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पाँच किताबों का यह गुलदस्ता स्त्री मन के विभिन्न पक्षों को दिखाता है। किसी युग में स्त्री की क्या स्थिति है, इसे समझना हो तो उस युग की प्रेम संबंधी मान्यताओं को समझना चाहिए। ज़ाहिर है, बात जब स्त्री मन की होगी तो प्रेम के बिना पूरी न होगी। तो आइए देखते हैं और ‘स्त्री मन और प्रेम’ (Stree Man Aur Prem) के इस कॉम्बो को –
1. Chhap Tilak Sab Chheeni- वह कहानियाँ…जो स्त्री-मन की अंधेरी गलियों से हो कर गुजरीं, जीवन की आपाधापी में गुम होते-होते रह गईं और मानवीय प्रेम और करूणा के उजालों की तलाश में सतत विचरती रहीं। मानव-मन अपने अनगढ़ स्वरुप में कितना लुभावना हो सकता है, कितना करुणामय…. इस किताब की कहानियों के किरदार, यही छटा बिखेरते हैं। ख़ास कर स्त्री पात्र। पीड़ा में भी अलौकिक सौन्दर्य है। इन कहानियों के आत्मा, इसी सौन्दर्य से गर्वोन्नत है।
2. Baheliye- स्त्रियाँ जो मिटाना चाहती हैं अपने माथे पर लिखी मूर्खता किताबों में उनके नाम दर्ज चुटकुलों, और इस चलन को भी जो कहता है, ‘‘यह तुम्हारे मतलब की बात नहीं’’ मगर सिमट जाती हैं मिटाने में कपड़ों पर लगे दाग, चेहरों पर लगे दाग, और चुनरी में लगे दागों को, स्त्रियाँ, जो होना चाहती हैं खड़ी चैपालों, पान ठेलों और चाय की गुमटियों पर करना चाहती हैं बहस और निकालना चाहती हैं निष्कर्ष मगर सिमट जाती हैं निकालने में लाली-लिपस्टिक-कपड़ों और ज़ेवरों के दोष, कौन हैं ये स्त्रियाँ?
3. Neela Scarf – औरतों की जिंदगियों के कई रंगों को अपने में संजोए हुए है किताब ‘नीला स्कार्फ’। इस किताब में दूसरों के घर में काम करने वाली स्त्री की कहानी है तो दफ्तर में काम करती स्त्री की भी। कहीं प्रेम के मायाजाल में उलझी स्त्री है तो अस्तित्व के लिए अपनों से लड़ती स्त्री भी।
4. Uljhan Buljhan Pyar- रिश्तों में इतनी सामर्थ्य नहीं होती कि वे प्रेम की परिभाषा गढ़ सकें, जबकि प्रेम कुछ भी गढ़ सकता है। अंकुरण, प्रेम का स्वभाव है जो परिस्थितियों के अनुकूल होते ही उग आता है, परंतु ये उसकी तक़दीर है कि वह दीवारों पर उगे पौधों की तरह सूख जायेगा या फिर किसी मैदान में बढ़कर विशाल वृक्ष की तरह फूलेगा फलेगा। परिणाम की चिंता से दूर प्रेम धारा के विपरीत किसी अपवाद की तरह मिल ही जाता है। उलझन बुलझन प्यार की कहानी ऐसे ही किसी अपवाद की कहानी है, साथ ही प्रेम की कोमलता और रिश्तों के कठोर यथार्थ का तार्किक विश्लेषण भी करती है।
5. Dil Hai Chhota Sa- नितांत आरंभ में… आपको मिलेगी चित्रा। चुलबुली और चित्ताकर्षक। अपने छोटे-छोटे बालों को, माथे से झटकती हुई। ऐसे ही वो झटक लेगी शशांक का दिल। फिर कशमकश, दुनियादारी, संयोग-वियोग से होते हुए मोहब्बत सबकुछ लुटाकर भी अंत में ख़ाली हाथ रह जाती है।
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