Dastawej Books
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Stri Bhasha Stri Katha- स्त्री अपने जीवन के अनुभवों से गुजरते हुए समाज के पक्षपातपूर्ण रवैये को पहचानती है। मध्यवर्गीय समाज की सुशील लड़की के ‘सपने’, उसकी अपनी भाषा में कल्पना बनकर भी बहुत मुश्किल से पूर्ण स्वरूप ले पाते हैं। नैतिकता का संस्कार बोध उसे परिवार की सर्वोपरि संस्कारी इच्छाओं की सीमा में कैद कर देता है। यही एकमात्र कारण, शिक्षा के प्रसार के बावजूद स्त्रियों की अस्मिता/पहचान की तलाश में बाधा बनता है, किन्तु संस्कारित, सभ्य, ‘सुशील’ लड़कियाँ इसे अपनी नियति मानकर स्वयं को गौरवान्वित करती हैं। भारतीय समाज के मध्यवर्गीय परिवार के ऐसे ही परिवेश से मेरा आमना-सामना रहा है। शिक्षा के दौरान साहित्य के क्षेत्र में गढ़ी गई जो स्त्रियाँ/नायिकाएँ मिलीं, वह भी अबला दुःखी, शोषित ही अधिक मिलीं या फिर पश्चिमी फेमिनिज्म की तेज हवा में देह-मुक्ति तलाशती, एकाकी जीवन जीती स्त्रियाँ मिलीं। ये दोनों ही तरह की स्त्रियाँ मुझे अपने आस-पास की स्त्रियों से कभी मेल खाती लगतीं तो कभी बिल्कुल ही अलग लगती रहीं। आखिर स्त्री भी कभी न कभी तो अपने तरीके से प्रत्यक्ष या परोक्ष रास्ता अपने जीने के लिए अवश्य तलाश ही लेती है।
(इसी पुस्तक से )
डॉ. कंचन भारद्वाज, जन्म- शाहजहांपुर, (उत्तर प्रदेश) में हुआ। पीएच.डी, एम.फ़िल. की डिग्री जवाहरलाल नेहरु विश्वविद्यालय, दिल्ली से एवं एम.एड.की डिग्री रूहेलखंड विश्वविद्यालय से प्राप्त की। वर्तमान में जामिया मिल्लिया इस्लामिया, दिल्ली में हिन्दी अध्यापनरत हैं। साहित्य और संगीत में गहरी रुचि है। हिन्दी अकादमी दिल्ली द्वारा ‘हिन्दी शिक्षक सम्मान 2008’ से सम्मानित हुयी हैं। विश्व हिंदी साहित्य परिषद द्वारा 2019 में ‘साहित्य सरिता सम्मान’ प्राप्त हुआ। तबला वादन और कत्थक में गहरी रूचि है। विविध पत्र पत्रिकाओं में लेख एवं कविताओं का प्रकाशन हुआ है। पीएम ए विद्या कार्यक्रम के अंतर्गत सी आई ई टी, दिल्ली द्वारा कई व्याख्यान प्रकाशित हुए। सुभद्राकुमारी चौहान कृत ‘झाँसी की रानी’ कविता की अभिनयात्मक प्रस्तुति देश और यूरोप के कई देशों में की।
संपर्क -kanchanbhardwaz@gmail.com
Weight | 250 g |
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Dimensions | 22 × 14 × 2 cm |
फॉर्मैट | पेपरबैक |
भाषा | हिंदी |
Number of Pages | 155 |
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