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₹150₹110-
Best Seller – जीतने की जद्दोजहद में लोग क्या और कितना हार जाते हैं ये सफर के आखरी पड़ाव में और मंज़िल पर पहुँचने से पहले पता चल जाता है। लेकिन कुछ लोग इसे नजरअंदाज करना ही नियति बना लेते हैं।
Best seller की कहानी में सैकड़ों उतार चढ़ाव हैं।
उनके साथ फिर वही होता है जो सादिक के साथ हुआ।
आईना से प्यार और फिर शादी लेकिन इंटरनेशनल लेवल का Best seller बनने की उसकी ख्वाहिश अभी पूरी नहीं हो रही थी।
हिंदी ऑथर के लिए आसान है? आईना के पापा, प्रभात शेखावत खुद इंटरनेशनल बेस्टसेलर हैं तो फिर रास्ता आसान हो, शायद! शैलेष और अंशुल केसरी, पब्लिशिंग इंडस्ट्री के दो ऐसे दिग्गज जो किसी ऑथर का साथ दें, तो सब मुमकिन है।
फिर इनमें से कौन साथ देगा सादिक का? क्योंकि बेस्टसेलर बनना हर तरीके से फायदे का सौदा होता है! क्या ये कहानी वाकई सादिक की है या किसी ऐसे शख्स की है जिसने बेस्टसेलर बनने का सबसे अलग रास्ता चुना? पढ़िये और बताइए कि बेस्टसेलर कौन बना!
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₹160₹120-
December Sanjog – प्रस्तुत संग्रह में प्यार के ताने-बानों के साथ जीवन की कड़वी मीठी सच्चाइयाँ भी अनायास ही बुनी गई हैं। जीवन के मिले-जुले अनुभवों को, शब्दों के जाल में समेट लेना, संजो लेना, मन को कहीं न कहीं तसल्ली देता है।
“आखर ढाई” एक ऐसी युवती की कहानी है जो सच्चे प्रेम की तलाश में आजीवन भटकती रहती है। अंततः उसे उसका सच्चा प्यार मिलता है लेकिन क्या सच में ये उसका अंतिम प्यार है?
ऐसे ही “उस रात की बात” का कथानक सिहरन पैदा करने वाला है, तब भी रत्ती बुआ की कहानी एक सत्य घटना से प्रेरित है। “पंखुरी-पंखुरी हरसिंगार” की कमसिन-कोमलांगी नायिका समय और परिस्थितियों के साथ एक सशक्त स्त्री बनती है और अपने निर्णय स्वयं लेने में सक्षम रहती
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₹160₹120-
’Kachahari nama’, सरकारी कार्यालय व जीवन के आम अनुभवों पर आधारित है, जिसे पढ़कर आप अपने आसपास की घटनाओं को सिर्फ देखेंगे ही नहीं बल्कि जिएँगे भी।
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₹100₹75-
प्रायः सभी महापुरुषों के बारे में अनेक किंवदंतियाँ प्रचलित हो जाती हैं, शंकर के बारे में भी प्रचलित हुईं । इन किंवदंतियों की हम अवहेलना भी कर दें तो भी उनका कृतित्व स्वयं में एक बहुत बड़ी किंवदंती के रूप में सामने आता है । जन-सामान्य में आचार्य शंकर को भगवान शंकर का अवतार माना जाता है । यदि हमारे आधुनिक संस्कार यह मानने को तैयार न हों, तब तो आचार्य का व्यक्तित्व और भी ऊँचा हो जाता है। मात्र बत्तीस वर्ष के जीवन में जो उन्होने किया वह कोई पौराणिक आख्यान नहीं अपितु इतिहास सम्मत घटना है जिसे नकारा नहीं जा सकता । शंकराचार्य ने चरमराई सामाजिक व्यवस्था को पुनर्जीवन दिया, दबे-कुचले वर्ग को सम्मान दिया, और यह स्थापित करने में सफलता पाई कि जितने भी मत समय-समय पर उभरे और अलग-अलग संप्रदायों के रूप में आकर हिन्दू समाज को विभक्त कर दिये, वो सब वास्तव में हिन्दू दर्शन में पहले से ही समाहित थे । शंकर सर्वसामान्य हुए, प्रतिष्ठित हुए । दूसरी बड़ी विचित्रता थी कि उन्होंने भीषण यात्राओं कीं।
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₹99₹75-
इश्क का आठवाँ रंग अपनी तरह का एक अनूठा उपन्यास है। फारसी साहित्य के अनुसार इश्क के सात मुकाम होते हैं। लेकिन इस किताब में ऐसे आठवें मुकाम या ऐसे रंग का जिक्र किया गया है जो आपने पहले कभी न सुना होगा
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₹249₹150-
तुमने तो कहा था – प्यार जीवन की आवश्यकता है और जीवन का केंद्र परिवार है। परिवार के साथ दोस्ती की अहमियत को भी झुठलाया नहीं जा सकता लेकिन दोस्ती जब प्यार में तब्दील होने लगती है तो शादी के नाम पर परिवार के समीकरण गड़बड़ाने लगते हैं। शादी कर पति पत्नी बने दो अजनबी प्यार की दुनिया में उतर पाते हैं या केवल देह के दायरों में ही सिमटकर रह जाते हैं? ये रहस्य सदियों से अनसुलझी पहेली ही है लेकिन इस बात की संभावना प्रबल है कि प्यार कर शादी की दुनिया में उतरने वाले प्रेमी-प्रेमिका प्यार को और गहराई से अनुभव कर देह के दायरों से कहीं दूर निकल पाने की संभावना को झुठला नहीं सकते। बेशक! जीवन में प्यार, दोस्ती और परिवार दोनों ही बहुत जरूरी हैं लेकिन कभी-कभी प्यार की पहली किरण को अपनी मुट्ठी में कैद कर परिवार के लिए कुर्बानी भी देनी पड़ती है। वैसे हमसफर जब साथ हो तो हर उम्र में प्यार लुभाता ही है लेकिन उम्र के दायरों में बंधी जिन्दगी के सवाल जब प्यार को सताने लगते हैं तो एक प्रेम कहानी का जन्म होता है। प्यार, दोस्ती, कुर्बानी, शादी और परिवार के बीच उलझे हुए अलग-अलग उम्र का प्रतिनिधित्व कर रहे गौतम तथा नीरा के साथ, तनुश्री और फिर रौनक और सौम्या अपने पहले प्यार, परिवार और कुर्बानी में से किसे चुनते हैं? “उसके हिस्से का प्यार”, “गुलाबी छाया नीले रंग” और “उस मोड़ पर” के लेखक आशीष दलाल की कलम से चित्रित चिरस्थाई प्रेम पर आधारित हृदयस्पर्शी कहानी “तुमने तो कहा था” निश्चित रूप से आपके दिल को छू लेगी।
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₹135₹100-
जब इंसान अंदर से टूटता है तो वो अपनी बात समझाने के तरीके ढूँढने लगता है । और जब अंदर भावनाओं का ज्वार उठ रहा हो और सुनने वाला कोई न हो, तो वो खुद के लिए फैसलें लेता है । बेशक वो समाज की मान्यताओं में सही न हो लेकिन वो फिर भी अपने हक़ में फैसलें लेता है । यह कहानी है जागी आँखों से देखें जाने वाले सपनों की, उन अहसासों की, जिन्हें हम जीना चाहते हैं लेकिन जी नहीं पाते । उन अहसासों की जो जन्म तो लेते हैं लेकिन कुछ समय बाद सिकुड़ जातें हैं । दुमछल्ला कहानी है भावनाओं से भरे 6 लोगों की, जिनमें प्यार, विश्वास, अपनापन तो है लेकिन एक-दूसरे को आज़ादी देने की हिम्मत नहीं है । किसी की एक गलती उन सभी की जिंदगी को उस मोड़ तक ले जाती है, जहाँ से कुछ भी ठीक कर पाना न नहीं था । दखल किसने, किसकी जिंदगी में दिया था, कह पाना मुश्किल है । नादानी, नासमझी या अपरिपक्वता, चाहे जो भी नाम दें लेकिन सवाल तो बस आज़ादी से ही जुड़ा था ।
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₹135₹100-
डिजिटल दौर में आपकी प्राइवेसी में दखल देकर कोई कैसे आपकी ज़िंदगी को प्रभावित कर सकता है, उसी की कहानी है ।
एक मेट्रो शहर की ऐसी कहानी जहाँ स्टार्टअप, पब कल्चर, डेटिंग, ओपन रिलेशनशिप की दुनिया है लेकिन यहाँ एक ऐसा शातिर इंसान है जिसने सबकी ज़िन्दगी को अपने मन-मुताबिक घुमाया, नचाया, और इस तरीके से इस्तेमाल किया कि सब एक दूसरे के लिए फरेबी बन गए ।
आपके करीब भी एक ऐसी चीज़ है जो आप पर हरपल नज़र रखे हुए है और आपकी हर जानकारी को कहीं इस्तेमाल कर रही है ।
पढ़िए “फ़रेब का सफ़र” और पहचानिए वो कौन है । आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस के सहारे प्राइवेसी में दखल देने की थीम पर लिखा हुआ हिंदी का पहला उपन्यास है फ़रेब का सफ़र
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₹250₹150-
‘लड़का हुआ है’ कुछ पूर्वनिर्धारित परिभाषाओं से जनित विरोधाभास से हम सभी को परिचित कराने का एक प्रयास है । कई कहानियां सत्य में घटित हुईं हैं तो कई अनुभवों का आत्मसातीकरण है । अगर आपने इन्हें महसूस न भी किया हो तो भी कही न कही सुना ज़रूर होगा । ये पुस्तक कहानियों का एक संग्रह है जिसमें की छद्म नारीवाद के चलते वर्तमान सामाजिक ताने बाने पर हो रहे कुठाराघात के कारण हो रहे परिवारों के विघटन से परत दर परत परिचित कराती है । पुस्तक की हर कथा का संदेश अपने आप में व्यापक है और हम सभी को सोचने पर मजबूर कर देता है कि जिसे हम सभी अमोघ मान रहें हैं; वह वास्तव में वैसा है भी या नहीं ।
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₹200₹120-
शोर … अंतर्मन का कोलाहल या कहें की शून्यता, बाहर की अव्यवस्थित व्यवस्था से अलग, चिंतित मन का व्यथित लेकिन व्यवस्थित सुर है जो किसी भी इंसान को जीने की वजह भी देता है और जीने का उद्देश्य भी लेकिन आख़िर यह शोर पनपता ही क्यूँ है? कौन सही है, कौन गलत? कौन आज़ाद है, कौन क़ैद? अजीब सवालों के ऐसे बवंडर में ज़िंदगी उलझ जाती है कि हर कदम पर चौराहा आ जाता है। जब आस-पास देखते हैं तो लोग अपने लगते हैं लेकिन जब उनका हाथ पकड़ने की कोशिश करो तो ऐसा लगता है कि हाथ किसी ख्वाब से होकर गुजरा हो, एकदम खाली। उदास दिल बहुत कुछ करने की इज़ाज़त नहीं देता लेकिन वो ऐसे फैसले लेने को मजबूर कर देता है जो आप कभी लेना नहीं चाहते थे। यह कहानी कुछ ऐसे ही परिवारों की है जो साथ तो हैं लेकिन अपने बच्चों को समझने में नाकाम हो रहे हैं और कुछ बच्चे अपने माँ-बाप की परवरिश पर ही सवाल उठा रहे हैं। जिनको अपना समझकर जिम्मेदारी सौपीं वही विश्वासघात कर रहे हैं और कुछ कामयाबी के लिये कुछ भी कर गुजरने के लिये तैयार हैं।
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Best Seller | बेस्ट सेलर
₹150₹110Best Seller – जीतने की जद्दोजहद में लोग क्या और कितना हार जाते हैं ये सफर के आखरी पड़ाव में और मंज़िल पर पहुँचने से पहले पता चल जाता है। लेकिन कुछ लोग इसे नजरअंदाज करना ही नियति बना लेते हैं।
Best seller की कहानी में सैकड़ों उतार चढ़ाव हैं।
उनके साथ फिर वही होता है जो सादिक के साथ हुआ।
आईना से प्यार और फिर शादी लेकिन इंटरनेशनल लेवल का Best seller बनने की उसकी ख्वाहिश अभी पूरी नहीं हो रही थी।
हिंदी ऑथर के लिए आसान है? आईना के पापा, प्रभात शेखावत खुद इंटरनेशनल बेस्टसेलर हैं तो फिर रास्ता आसान हो, शायद! शैलेष और अंशुल केसरी, पब्लिशिंग इंडस्ट्री के दो ऐसे दिग्गज जो किसी ऑथर का साथ दें, तो सब मुमकिन है।
फिर इनमें से कौन साथ देगा सादिक का? क्योंकि बेस्टसेलर बनना हर तरीके से फायदे का सौदा होता है! क्या ये कहानी वाकई सादिक की है या किसी ऐसे शख्स की है जिसने बेस्टसेलर बनने का सबसे अलग रास्ता चुना? पढ़िये और बताइए कि बेस्टसेलर कौन बना!
Kachahari Nama | कचहरी नामा
₹160₹120’Kachahari nama’, सरकारी कार्यालय व जीवन के आम अनुभवों पर आधारित है, जिसे पढ़कर आप अपने आसपास की घटनाओं को सिर्फ देखेंगे ही नहीं बल्कि जिएँगे भी।
December Sanjog | दिसम्बर संजोग
₹160₹120December Sanjog – प्रस्तुत संग्रह में प्यार के ताने-बानों के साथ जीवन की कड़वी मीठी सच्चाइयाँ भी अनायास ही बुनी गई हैं। जीवन के मिले-जुले अनुभवों को, शब्दों के जाल में समेट लेना, संजो लेना, मन को कहीं न कहीं तसल्ली देता है।
“आखर ढाई” एक ऐसी युवती की कहानी है जो सच्चे प्रेम की तलाश में आजीवन भटकती रहती है। अंततः उसे उसका सच्चा प्यार मिलता है लेकिन क्या सच में ये उसका अंतिम प्यार है?
ऐसे ही “उस रात की बात” का कथानक सिहरन पैदा करने वाला है, तब भी रत्ती बुआ की कहानी एक सत्य घटना से प्रेरित है। “पंखुरी-पंखुरी हरसिंगार” की कमसिन-कोमलांगी नायिका समय और परिस्थितियों के साथ एक सशक्त स्त्री बनती है और अपने निर्णय स्वयं लेने में सक्षम रहती
फरेब का सफ़र
₹135₹100डिजिटल दौर में आपकी प्राइवेसी में दखल देकर कोई कैसे आपकी ज़िंदगी को प्रभावित कर सकता है, उसी की कहानी है ।
एक मेट्रो शहर की ऐसी कहानी जहाँ स्टार्टअप, पब कल्चर, डेटिंग, ओपन रिलेशनशिप की दुनिया है लेकिन यहाँ एक ऐसा शातिर इंसान है जिसने सबकी ज़िन्दगी को अपने मन-मुताबिक घुमाया, नचाया, और इस तरीके से इस्तेमाल किया कि सब एक दूसरे के लिए फरेबी बन गए ।
आपके करीब भी एक ऐसी चीज़ है जो आप पर हरपल नज़र रखे हुए है और आपकी हर जानकारी को कहीं इस्तेमाल कर रही है ।
पढ़िए “फ़रेब का सफ़र” और पहचानिए वो कौन है । आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस के सहारे प्राइवेसी में दखल देने की थीम पर लिखा हुआ हिंदी का पहला उपन्यास है फ़रेब का सफ़र
आदि शंकराचार्य
₹100₹75प्रायः सभी महापुरुषों के बारे में अनेक किंवदंतियाँ प्रचलित हो जाती हैं, शंकर के बारे में भी प्रचलित हुईं । इन किंवदंतियों की हम अवहेलना भी कर दें तो भी उनका कृतित्व स्वयं में एक बहुत बड़ी किंवदंती के रूप में सामने आता है । जन-सामान्य में आचार्य शंकर को भगवान शंकर का अवतार माना जाता है । यदि हमारे आधुनिक संस्कार यह मानने को तैयार न हों, तब तो आचार्य का व्यक्तित्व और भी ऊँचा हो जाता है। मात्र बत्तीस वर्ष के जीवन में जो उन्होने किया वह कोई पौराणिक आख्यान नहीं अपितु इतिहास सम्मत घटना है जिसे नकारा नहीं जा सकता । शंकराचार्य ने चरमराई सामाजिक व्यवस्था को पुनर्जीवन दिया, दबे-कुचले वर्ग को सम्मान दिया, और यह स्थापित करने में सफलता पाई कि जितने भी मत समय-समय पर उभरे और अलग-अलग संप्रदायों के रूप में आकर हिन्दू समाज को विभक्त कर दिये, वो सब वास्तव में हिन्दू दर्शन में पहले से ही समाहित थे । शंकर सर्वसामान्य हुए, प्रतिष्ठित हुए । दूसरी बड़ी विचित्रता थी कि उन्होंने भीषण यात्राओं कीं।
इश्क का आठवाँ रंग
₹99₹75इश्क का आठवाँ रंग अपनी तरह का एक अनूठा उपन्यास है। फारसी साहित्य के अनुसार इश्क के सात मुकाम होते हैं। लेकिन इस किताब में ऐसे आठवें मुकाम या ऐसे रंग का जिक्र किया गया है जो आपने पहले कभी न सुना होगा
तुमने तो कहा था
₹249₹150तुमने तो कहा था – प्यार जीवन की आवश्यकता है और जीवन का केंद्र परिवार है। परिवार के साथ दोस्ती की अहमियत को भी झुठलाया नहीं जा सकता लेकिन दोस्ती जब प्यार में तब्दील होने लगती है तो शादी के नाम पर परिवार के समीकरण गड़बड़ाने लगते हैं। शादी कर पति पत्नी बने दो अजनबी प्यार की दुनिया में उतर पाते हैं या केवल देह के दायरों में ही सिमटकर रह जाते हैं? ये रहस्य सदियों से अनसुलझी पहेली ही है लेकिन इस बात की संभावना प्रबल है कि प्यार कर शादी की दुनिया में उतरने वाले प्रेमी-प्रेमिका प्यार को और गहराई से अनुभव कर देह के दायरों से कहीं दूर निकल पाने की संभावना को झुठला नहीं सकते। बेशक! जीवन में प्यार, दोस्ती और परिवार दोनों ही बहुत जरूरी हैं लेकिन कभी-कभी प्यार की पहली किरण को अपनी मुट्ठी में कैद कर परिवार के लिए कुर्बानी भी देनी पड़ती है। वैसे हमसफर जब साथ हो तो हर उम्र में प्यार लुभाता ही है लेकिन उम्र के दायरों में बंधी जिन्दगी के सवाल जब प्यार को सताने लगते हैं तो एक प्रेम कहानी का जन्म होता है। प्यार, दोस्ती, कुर्बानी, शादी और परिवार के बीच उलझे हुए अलग-अलग उम्र का प्रतिनिधित्व कर रहे गौतम तथा नीरा के साथ, तनुश्री और फिर रौनक और सौम्या अपने पहले प्यार, परिवार और कुर्बानी में से किसे चुनते हैं? “उसके हिस्से का प्यार”, “गुलाबी छाया नीले रंग” और “उस मोड़ पर” के लेखक आशीष दलाल की कलम से चित्रित चिरस्थाई प्रेम पर आधारित हृदयस्पर्शी कहानी “तुमने तो कहा था” निश्चित रूप से आपके दिल को छू लेगी।
दुमछल्ला
₹135₹100जब इंसान अंदर से टूटता है तो वो अपनी बात समझाने के तरीके ढूँढने लगता है । और जब अंदर भावनाओं का ज्वार उठ रहा हो और सुनने वाला कोई न हो, तो वो खुद के लिए फैसलें लेता है । बेशक वो समाज की मान्यताओं में सही न हो लेकिन वो फिर भी अपने हक़ में फैसलें लेता है । यह कहानी है जागी आँखों से देखें जाने वाले सपनों की, उन अहसासों की, जिन्हें हम जीना चाहते हैं लेकिन जी नहीं पाते । उन अहसासों की जो जन्म तो लेते हैं लेकिन कुछ समय बाद सिकुड़ जातें हैं । दुमछल्ला कहानी है भावनाओं से भरे 6 लोगों की, जिनमें प्यार, विश्वास, अपनापन तो है लेकिन एक-दूसरे को आज़ादी देने की हिम्मत नहीं है । किसी की एक गलती उन सभी की जिंदगी को उस मोड़ तक ले जाती है, जहाँ से कुछ भी ठीक कर पाना न नहीं था । दखल किसने, किसकी जिंदगी में दिया था, कह पाना मुश्किल है । नादानी, नासमझी या अपरिपक्वता, चाहे जो भी नाम दें लेकिन सवाल तो बस आज़ादी से ही जुड़ा था ।
शोर… अंतर्मन का कोलाहल
₹200₹120शोर … अंतर्मन का कोलाहल या कहें की शून्यता, बाहर की अव्यवस्थित व्यवस्था से अलग, चिंतित मन का व्यथित लेकिन व्यवस्थित सुर है जो किसी भी इंसान को जीने की वजह भी देता है और जीने का उद्देश्य भी लेकिन आख़िर यह शोर पनपता ही क्यूँ है? कौन सही है, कौन गलत? कौन आज़ाद है, कौन क़ैद? अजीब सवालों के ऐसे बवंडर में ज़िंदगी उलझ जाती है कि हर कदम पर चौराहा आ जाता है। जब आस-पास देखते हैं तो लोग अपने लगते हैं लेकिन जब उनका हाथ पकड़ने की कोशिश करो तो ऐसा लगता है कि हाथ किसी ख्वाब से होकर गुजरा हो, एकदम खाली। उदास दिल बहुत कुछ करने की इज़ाज़त नहीं देता लेकिन वो ऐसे फैसले लेने को मजबूर कर देता है जो आप कभी लेना नहीं चाहते थे। यह कहानी कुछ ऐसे ही परिवारों की है जो साथ तो हैं लेकिन अपने बच्चों को समझने में नाकाम हो रहे हैं और कुछ बच्चे अपने माँ-बाप की परवरिश पर ही सवाल उठा रहे हैं। जिनको अपना समझकर जिम्मेदारी सौपीं वही विश्वासघात कर रहे हैं और कुछ कामयाबी के लिये कुछ भी कर गुजरने के लिये तैयार हैं।
लड़का हुआ है
₹250₹150‘लड़का हुआ है’ कुछ पूर्वनिर्धारित परिभाषाओं से जनित विरोधाभास से हम सभी को परिचित कराने का एक प्रयास है । कई कहानियां सत्य में घटित हुईं हैं तो कई अनुभवों का आत्मसातीकरण है । अगर आपने इन्हें महसूस न भी किया हो तो भी कही न कही सुना ज़रूर होगा । ये पुस्तक कहानियों का एक संग्रह है जिसमें की छद्म नारीवाद के चलते वर्तमान सामाजिक ताने बाने पर हो रहे कुठाराघात के कारण हो रहे परिवारों के विघटन से परत दर परत परिचित कराती है । पुस्तक की हर कथा का संदेश अपने आप में व्यापक है और हम सभी को सोचने पर मजबूर कर देता है कि जिसे हम सभी अमोघ मान रहें हैं; वह वास्तव में वैसा है भी या नहीं ।