मानव का उपन्यास ‘साक्षात्कार’ लेखन एवं वास्तविकता के बीच बहुत दिलचस्प आवाजाही करता है और लेखक, लेखन तथा उसके जीवन के भेद को कथासूत्र में पिरोता है। इस उपन्यास के तीन मुख्य पात्रों की अपनी-अपनी कहानी हैं, तीनों एक ही कहानी के तीन संस्करण हैं, लेकिन किस तरह वे एक-दूसरे के वास्तविक जीवन और फ़िक्शनल ज़िंदगी को प्रभावित करते हैं- इस उपन्यास का बहुत ही उल्लेखनीय पक्ष है। एक मनुष्य का कितना जीवन वास्तविक है और उस वास्तविकता में कल्पना कहाँ से प्रवेश करती है और किस तरफ़ यात्रा करती है- इस उपन्यास के मूल में है।
मानव कौल के जीवन को उनके लिखे के बहाने समझा जा सकता है। एक लेखक का लिखा किस तरह उसके जीवन और लेखन में यात्रा कर रहा होता है उसे मानव की किताबों से गुज़रते हुए गुना जा सकता है। मानव की यह लेखन-यात्रा 14 किताबों तक पहुँच चुकी है। नई किताब ‘साक्षात्कार’ लेखन एवं वास्तविकता के बीच बहुत दिलचस्प आवाजाही करती है और लेखक, लेखन तथा उसके जीवन के भेद को कथासूत्र में पिरोती है। इससे पहले मानव की 13 पुस्तकें—‘ठीक तुम्हारे पीछे’ (कहानियाँ), ‘प्रेम कबूतर’ (कहानियाँ), ‘तुम्हारे बारे में’ (न कविता, न कहानी), ‘बहुत दूर, कितना दूर होता है’ (यात्रा-वृत्तांत), ‘चलता-फिरता प्रेत’ (कहानियाँ), ‘अंतिमा’ (उपन्यास), ‘कर्ता ने कर्म से’ (कविताएँ), ‘शर्ट का तीसरा बटन’ (उपन्यास), ‘रूह’ (यात्रा-वृत्तांत), ‘तितली’ (उपन्यास), ‘टूटी हुई बिखरी हुई’ (उपन्यास), ‘पतझड़’ (उपन्यास) और ‘कतरनें’ (न कविता, न कहानी) प्रकाशित हो चुकी हैं।
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