छह माह पहले महादूत के कॉमिक्स का नया सेट आया था। पाँच कॉमिक्सों वाला यह सेट बच्चों के बीच काफी प्रसिद्ध रहा था, पर दिप्पा, चित्तू, पल्लू, डब्बू और टीनू उन्हें अब तक नहीं पढ़ पाए थे। इसका उन्हें पछतावा था।
इसलिए गर्मियों की छुट्टियाँ पड़ते ही इस मित्र मंडली ने फैसला कर लिया था कि वह कॉमिक बुक्स के इस सेट को पढ़कर अपनी छुट्टियों को धन्य कर देंगे।
पर कर देना सोच लेने जितना आसान न था। वो कॉमिक बुक्स मिलने हँसी खेल थोड़े न थे। दुकानों से तो वह अन्य बच्चों द्वारा कबके लपके जा चुके थे। अब उन्हें खोज-खोज कर इस सेट के प्रत्येक कॉमिक को ढूँढना था। यह ऐसी राह थी जिसमें ढेरों मुसीबतें उनकी प्रतीक्षा कर रही थीं।
लेकिन कॉमिक बुक्स को प्राप्त करने का सहारनपुर के इस खोजी दल का यह फैसला भी अटल था, फिर चाहे उन्हें कितनी ही मुसीबतों से क्यों न जूझना पड़े।
क्या सहारनपुर का ये खोजी दल अपनी पसंदीदा कॉमिक बुक्स को पाने में सफल हुआ?
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