लिखना मेरे लिए खुद को जानने की एक कोशिश भर है, लिखते लिखते खुद को जान पाऊँ तो शायद लिखना सफल हो तब तक ये यात्रा यूँ ही चलती रहेगी। पहली किताब हर लेखक के लिए बहुत खास होती है, मेरे लिए भी ये किताब उतनी ही खास है बस यूँ समझिये जितने संवाद मैंने मौन में किये हैं वो सब आप लोगों को सौंप रहा हूँ। प्रेम के बारे में बहुत कुछ लिखा और कहा गया है उम्मीद करता हूँ मेरे लिखे में भी आपको प्रेम की एक झलक दिखेगी और शायद आपको अपना जिया हुआ प्रेम स्मरण हो आये। शायद आप अपने “प्रेम का प्रमेय” सिद्ध कर पाएं इस किताब को पढ़ते हुए |
वर्तमान में देश की ही एक आई टी कंपनी में सॉफ्टवेयर इंजीनियर के पद पर कार्यरत आशीष द्विवेदी ‘ख़ाक’ जी का जन्म उत्तर प्रदेश के ग्राम सजांव में हुआ। बचपन से लेकर दसवीं तक शिक्षा लार कस्बे से हुई और ग़ाज़ियाबाद से इंजीनियरिंग की पढ़ाई पूरी हुई। बाद में नौकरी के सिलसिले में देश के काफी शहरों में रहने और घूमने का मौका मिला।
बचपन से ही साहित्य में रूचि रखने वाले आशीष देश के तमाम प्रतिष्ठित विश्वविद्यालयों में कविता पाठ कर चुके हैं। इसके अलावा सामाजिक कार्यों में भी इनका हमेशा से योगदान रहा है।
2018 में इन्होंने ‘द सोलटॉक’ नामक साहित्यिक संस्था की स्थापना की और उससे लोगों को जोड़कर साहित्य सेवा में अपना योगदान कर रहे हैं।
Reviews
There are no reviews yet