उक्ति प्रकाशन (बुक बाबू)
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एक स्त्री जब कविता लिखती है, तो वह मन की कविताएं लिखती है। मन की कविताएं, जहां उत्साह होता है, उमंग होती है और होती है, संप्रेषणीयता। ऐसी संप्रेषण जो अनायास सुनने वालों को, पढ़ने वालों को उस दुनिया में ले जाता है, जहां पर वह कविता संवेदना के साथ ठहरी हुई होती है, पाठको को बुलाती हुई। कंचन भारद्वाज की कविताएं ऐसी ही कविताएं हैं, जो दुनिया की बातें करती हुई इन बातों के बीच से ही दुनियादारी की बातें भी समझा जाती हैं।
कविताओं में भी वे साहस को कहीं पीछे नहीं छूटने देतीं। स्त्री के नजरिए से बसंत को पढ़ना अद्भुत अनुभव देता है। बोलते हुए शब्दों का वसंत और कोरे कागज को कविता का प्रयोग बताता है कि कंचन की कविताओं में कल्पना का अतिरेक नहीं बल्कि उस आशय को पकड़ने की एकदम सटीक कोशिश है, जिसके लिए वह अतिरिक्त मेहनत भी नहीं करतीं।
– आकांक्षा पारे (कथाकार)
डॉ. कंचन भारद्वाज, जन्म- शाहजहांपुर, (उत्तर प्रदेश) में हुआ। पीएच.डी, एम.फ़िल. की डिग्री जवाहरलाल नेहरु विश्वविद्यालय, दिल्ली से एवं एम.एड.की डिग्री रूहेलखंड विश्वविद्यालय से प्राप्त की। वर्तमान में जामिया मिल्लिया इस्लामिया, दिल्ली में हिन्दी अध्यापनरत हैं। साहित्य और संगीत में गहरी रुचि है। हिन्दी अकादमी दिल्ली द्वारा ‘हिन्दी शिक्षक सम्मान 2008’ से सम्मानित हुयी हैं। विश्व हिंदी साहित्य परिषद द्वारा 2019 में ‘साहित्य सरिता सम्मान’ प्राप्त हुआ। तबला वादन और कत्थक में गहरी रुचि है। विविध पत्र पत्रिकाओं में लेख एवं कविताओं का प्रकाशन हुआ है। पीएम ए विद्या कार्यक्रम के अंतर्गत सी आई ई टी, दिल्ली द्वारा कई व्याख्यान प्रकाशित हुए। सुभद्राकुमारी चौहान कृत ‘झाँसी की रानी’ कविता की अभिनयात्मक प्रस्तुति देश और यूरोप के कई देशों में की।
संपर्क : kanchanbhardwaz@gmail.com
Dimensions | 20 × 16 × 2 cm |
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फॉर्मैट | पेपरबैक |
भाषा | हिंदी |
Number of Pages | 186 |
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