वाणी प्रकाशन
Original price was: ₹399.₹309Current price is: ₹309. (-23%)
In stock
₹399 Original price was: ₹399.₹309Current price is: ₹309. (-23%)
In stock
अम्बर पाण्डेय का उपन्यास ‘मतलब हिन्दू’ एक अनोखा उपन्यास है। यह उपन्यास लिखे हुए शब्दों के भेष में बोले गये शब्दों में अपने नरेटिव की ऊँचाइयों को छू लेता है। मैंने इस रचनात्मक प्रयोग को हिन्दी फ़िक्शन में इतनी सुन्दरता और गहनता के साथ बरतते हुए आज तक नहीं देखा। महान चेक उपन्यासकार मिलान कुन्देरा का कहना है कि नॉवेल में अगर अस्तित्व के किसी छुपे हुए आयाम पर प्रकाश नहीं पड़ता, तो नॉवेल लिखना बेकार है। ‘मतलब हिन्दू’ में तो हर पन्ने पर ऐसी रौशनी बिखरी हुई है जो हमारे अन्धकार में छुपे गुनाहों को बहुत बेरहमी से रौशन कर देती है।
‘मतलब हिन्दू’ का बयानिया बहुत घना है और इस घनेपन के रेशों को मानवीय संवेदनाओं और इन्सान के दुखों से बुना गया है। यह उपन्यास हमें बताता है कि हमारी सारी axiology (मूल्यशास्त्र) पहले ही से शायद नकटी है और नक़ली नाकें उस पर कभी भी पूरी तरह फिट नहीं बैठती हैं। ये सब एक भयानक रूप से हास्यास्पद भी है।
गांधी जी का चरित्र एक तरह से उपन्यास के बुनियादी चरित्र के लिए एक चैलेंज है जिससे वह जगह-जगह सहमा हुआ सा भी नज़र आता है। उसको यह भी शक होता है कि कहीं गांधी जी भी तो व्यभिचार या फिर अनैतिकता के दोषी थे कि नहीं थे। गांधी जी के चरित्र और उपन्यास में समाये हुए इतिहासबोध ने अविश्वसनीय को जिस तरह विश्वसनीय बना दिया है, वह भी अम्बर पाण्डेय की क़लम का एक करिश्मा ही कहा जायेगा।
नॉवेल के अन्त में पहुँचकर मुझे यह भी महसूस हुआ कि जैसे मैंने किसी यूनानी ट्रेजेडी को पढ़कर ख़त्म किया हो। एक ऐसी ट्रेजेडी जो अपनी हास्यास्पदता की वजह से और भी ज़्यादा बड़ी बन गयी हो। यह काम आधुनिक समय में एक बड़ा नॉवेल ही कर सकता है। यह काम इस नॉवेल यानी ‘मतलब हिन्दू’ के ज़रिये अपने अंजाम को पहुँचा।
– खालिद जावेद, उपन्यासकार
अम्बर पाण्डेय के हिन्दी में तीन कविता-संग्रह प्रकाशित हुए हैं। ‘कोलाहल की कविताएँ’ उनका पहला कविता-संग्रह 2018 में वाणी प्रकाशन द्वारा प्रकाशित किया गया था। इस पुस्तक के लिए उन्हें प्रतिष्ठित ‘शब्द सम्मान’ 2019, ‘हेमन्त स्मृति कविता सम्मान’ 2021 और 2022 में ‘कृति सम्मान’ प्राप्त हुआ। उन्हें रज़ा न्यास द्वारा दी जाने वाली ‘प्रकाश वृत्ति’ भी प्राप्त हुई है। उनका दूसरा कविता-संग्रह ‘गरुड़ और अन्य शोकगीत’ था। सेतु प्रकाशन द्वारा 2021 में प्रकाशित यह संग्रह बहुप्रशंसित हुआ। मूलतः एक पुस्तकाकार शोकगीत, इस पुस्तक को कोरोना के दौरान अम्बर के भ्रातृतुल्य मित्र के निधन के बाद लिखा गया था। उनकी तीसरी काव्य पुस्तक विलाप और वियोग से प्रेम और संयोग की ओर बढ़ती है। 2023 में वाणी प्रकाशन द्वारा प्रकाशित, ‘रुक्मिणी हरण और अन्य प्रेम कविताएँ’ प्रेम कविताओं का संग्रह है जो उनके विवाह के दिन जारी किया गया था। ‘मतलब हिन्दू’ उनका पहला उपन्यास है और उनकी ‘हिन्दू त्रयी’ का पहला भाग भी।
Weight | 300 g |
---|---|
Dimensions | 22 × 14 × 3 cm |
फॉर्मैट | पेपरबैक |
भाषा | हिंदी |
Number of Pages | 228 |
Reviews
There are no reviews yet