Nain Banjare – बेसिम्त ज़िंदगी की धूप में प्यार के घने साए की ज़रूरत को वही समझ सकता है जो तपते सहरा में पानी की तलाश में भटक रहा हो। खो चुके प्यार की तलाश में बेचैन रूहें भटकने को मजबूर हो ही जाती हैं। उनके नैन बंजारे बने भटकते रहते हैं इधर-उधर। दिन कहीं और रात कहीं। ज़ाहिर है, प्यार की ज़मीन जब बंजर हो जाती है तो अक्सर नैन बंजारे रेगिस्तानों में भटकने लगते हैं। कहानियों के इस संग्रह नैन बंजारे में भी एक तलाश है और उस तलाश के दौरान रास्ते में मिले कुछ पड़ावों की शक्ल में कहानियाँ हैं। इन कहानियों की बुनियाद में दादा-दादी के ‘खिस्से’ ज़रूर हैं, लेकिन इनकी इमारत नई है।
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