कानपुर में अलमस्त जीवन जीता रवि पहले दिल्ली और फिर दिल्ली से लाहौर पहुँच चुका था। अलग देश में अलग सा एकाकी जीवन उसे जीना पड़ रहा था। पर फिर उसके जीवन में नूर आयी और उसे लगा जैसे उसके सूखे जीवन में बसंत आ गया हो। लेकिन होनी को तो कुछ और मंजूर था। उसका नछत्तर (Nachhattar) भी तो था जिसने उसके जीवन में कई कष्ट लिख दिये थे।
1992 में घटित उस घटना ने पूरे मुल्क को झकझोर दिया था। भारत में हुई उस घटना का असर पड़ोसी मुल्क पाकिस्तान में भी दिखने लगा था।
दोनों तरफ सांप्रयदायिक माहौल बिगड़ चुका था और दंगों की स्थिति आ गयी थी।
रवि ने खुद को, नूर को और अपने परिवार इन दंगों के बीच पाया।
रवि और नूर तो लाहौर में थे लेकिन उसका परिवार कानपुर में था। दोनों ही तरफ माहौल बिगड़ा हुआ था।
ऐसे में रवि और उसके परिवार का क्या हुआ? रवि की प्रेम कहानी का क्या हुआ? क्या रवि अपने नछत्तर से लड़ कर अपनी खुशियां हासिल कर पाया?
Reviews
There are no reviews yet