आज के समय में ‘ पुरुष अधिकार ‘ एक हास्य का विषय माना जाता है, अभी भी इस दिशा में कोई ठोस कदम तथा जागरूकता का अभाव है, ऐसे में एक महिला होते हुए भी ज्योति जी ने इस अधिकार को आन्दोलन के रूप में आगे बढ़ाया, लगभग 2012 में हुई एक घटना ने आपको इस दिशा में आवाज उठाने कि प्रेरणा दी, सोशल मीडिया के माध्यम से तो सुनता ही रहता था, इस किताब के जरिये इस आपके विचारों को और करीब से समझ पाने का मौका मिला है
Ladka Hua Hai | लड़का हुआ है – कुछ पूर्वनिर्धारित परिभाषाओं से जनित विरोधाभास से हम सभी को परिचित कराने का एक प्रयास है । कई कहानियां सत्य में घटित हुईं हैं तो कई अनुभवों का आत्मसातीकरण है । अगर आपने इन्हें महसूस न भी किया हो तो भी कही न कही सुना ज़रूर होगा । ये पुस्तक कहानियों का एक संग्रह है जिसमें की छद्म नारीवाद के चलते वर्तमान सामाजिक ताने बाने पर हो रहे कुठाराघात के कारण हो रहे परिवारों के विघटन से परत दर परत परिचित कराती है । पुस्तक की हर कथा का संदेश अपने आप में व्यापक है और हम सभी को सोचने पर मजबूर कर देता है कि जिसे हम सभी अमोघ मान रहें हैं; वह वास्तव में वैसा है भी या नहीं ।
आज के समय में ‘ पुरुष अधिकार ‘ एक हास्य का विषय माना जाता है, अभी भी इस दिशा में कोई ठोस कदम तथा जागरूकता का अभाव है, ऐसे में एक महिला होते हुए भी ज्योति जी ने इस अधिकार को आन्दोलन के रूप में आगे बढ़ाया, लगभग 2012 में हुई एक घटना ने आपको इस दिशा में आवाज उठाने कि प्रेरणा दी, सोशल मीडिया के माध्यम से तो सुनता ही रहता था, इस किताब के जरिये इस आपके विचारों को और करीब से समझ पाने का मौका मिला है