अच्छी किताब है। बीते समय की यादों को ताजा कर देती है। अच्छा एवं प्रशंसनीय प्रयास है।
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अमित छिल्लर
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Rated 5 out of 5
कोटद्वार वर्तमान में उत्तराखंड राज्य के पौड़ी गढ़वाल जनपद का मैदानी क्षेत्र का एकमात्र व जनपद का सबसे बड़ा नगर है। कोटद्वार एक प्रमुख औद्योगिक व व्यवसायिक नगर होने के साथ गढ़देश (गढ़वाल) का बिजनौर जनपद की ओर से प्रवेशद्वार भी है। 2014 के सामान्य चुनावों में लोकसभा क्षेत्र का व्यय प्रेक्षक रहते दो-तीन बार और पश्चात में एक सहकर्मी की बारात में सम्मिलित होकर कोटद्वार जाना हुआ था। सामान्य रूप से देखने में व्यवस्थित, साफसुथरा नगर प्रतीत हुआ था। कोटद्वार से इतना ही परिचय था।
पुस्तक के लेखक प्रिय पराग डिमरी जी के माध्यम से फेसबुक पर कोटद्वार को जितना पढ़ते थे पुस्तक उसका ही विस्तार है। कोटद्वार नगर और 90 के दशक से पूर्व के किसी भी उत्तर भारतीय नगर से किसी भी प्रकार जुड़ाव रखने वाले तथा और ऐसे नगरों व तत्कालीन समय मे ऐसे नगरों को समझने का प्रयास करने वाले लोगों के लिये पठनीय व सङ्ग्रहणीय पुस्तक के रूप में मैं “कोटद्वार, दिल लिखता भी है” को क्रय करने, पढ़ने व सङ्ग्रह करने व अन्य लोगों को प्रोत्साहित करने की अनुशंसा करता हूँ।
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Amit Singh
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Rated 5 out of 5
कोटद्वार वर्तमान में उत्तराखंड राज्य के पौड़ी गढ़वाल जनपद का मैदानी क्षेत्र का एकमात्र व जनपद का सबसे बड़ा नगर है। कोटद्वार एक प्रमुख औद्योगिक व व्यवसायिक नगर होने के साथ गढ़देश (गढ़वाल) का बिजनौर जनपद की ओर से प्रवेशद्वार भी है। 2014 के सामान्य चुनावों में लोकसभा क्षेत्र का व्यय प्रेक्षक रहते दो-तीन बार और पश्चात में एक सहकर्मी की बारात में सम्मिलित होकर कोटद्वार जाना हुआ था। सामान्य रूप से देखने में व्यवस्थित, साफसुथरा नगर प्रतीत हुआ था। कोटद्वार से इतना ही परिचय था।
पुस्तक के लेखक प्रिय पराग डिमरी जी के माध्यम से फेसबुक पर कोटद्वार को जितना पढ़ते थे पुस्तक उसका ही विस्तार है। कोटद्वार नगर और 90 के दशक से पूर्व के किसी भी उत्तर भारतीय नगर से किसी भी प्रकार जुड़ाव रखने वाले तथा और ऐसे नगरों व तत्कालीन समय मे ऐसे नगरों को समझने का प्रयास करने वाले लोगों के लिये पठनीय व सङ्ग्रहणीय पुस्तक के रूप में मैं “कोटद्वार, दिल लिखता भी है” को क्रय करने, पढ़ने व सङ्ग्रह करने व अन्य लोगों को प्रोत्साहित करने की अनुशंसा करता हूँ।
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Durgesh Bansal
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Rated 5 out of 5
कोटद्वार के बारे में शानदार लिखा है पढ़कर ऐसा लगता है कि आप भी लेखक कि साथ कोटद्वार यात्रा पर है । बधाई पराग जी इतनी शानदार किताब लिखने के लिये।इसको पढ़कर ऐसा लगा कि हम भी कहीं न कहीं इससे जुड़े हुए हैं
कोटद्वार पर लिखना कोटद्वार के अलावा, उस दौर पर लिखना भी था, जब ज़िंदा लोगों से ही नहीं निर्जीवों से भी गहरा रिश्ता हुआ करता था।
जब सादगी थी,
सड़कों के किनारे पेड़ हुआ करते थे।
फल खरीदकर ही नहीं, पेड़ पर चोरी से चढ़ कर, पत्थर मारकर भी खा लिए जाते थे।
रोज काफी लोगों से मिलना होता था।
लोगों से उनके घर के अंदर घंटों बातें हुआ करती थी, फिर घर की चौखट, ड्योढ़ी पर भी आधे घंटे और बातें हो जाया करती थीं।
लड़कपन घर के बाहर ही बीतता था।
गर्मियों की छुट्टियाँ रिश्तेदारों के यहाँ कटती थीं, किसी हिल स्टेशन के होटल, रिसोर्ट में नहीं।
फोटो खिंचवाते वक्त चेहरे पर असली भाव ही कायम रखते थे।
न तो ज़िन्दगी में फ़िल्टर किया जाता था, और न ही फोटूओं में।
पराग डिमरी, वर्तमान में गाजियाबाद वासी।स्मृतियों में अभी भी बचपन के उत्तराखंड प्रदेश के छोटे से शहर कोटद्वार में ही अपनी जड़ों को महसूस करते हैं।जीविका के लिए दिल्ली स्थित एक निजी संस्थान में विपणन और व्यवसाय वृद्धि विभाग में कार्यरत।रोजगार के निर्वहन के अतिरिक्त काफी पढ़ना, कभी लिखना और मधुर संगीत को सुनना, बस इसके इर्द-गिर्द ही जीवन को सीमित कर रखा है।
इस पुस्तक के लिए भी एक फिल्मी गीत की पंक्ति को उद्धृत करते रहते हैं:-…कोई अपनी पलकों पर यादों के दिए रखता है…
अच्छी किताब है। बीते समय की यादों को ताजा कर देती है। अच्छा एवं प्रशंसनीय प्रयास है।
कोटद्वार वर्तमान में उत्तराखंड राज्य के पौड़ी गढ़वाल जनपद का मैदानी क्षेत्र का एकमात्र व जनपद का सबसे बड़ा नगर है। कोटद्वार एक प्रमुख औद्योगिक व व्यवसायिक नगर होने के साथ गढ़देश (गढ़वाल) का बिजनौर जनपद की ओर से प्रवेशद्वार भी है। 2014 के सामान्य चुनावों में लोकसभा क्षेत्र का व्यय प्रेक्षक रहते दो-तीन बार और पश्चात में एक सहकर्मी की बारात में सम्मिलित होकर कोटद्वार जाना हुआ था। सामान्य रूप से देखने में व्यवस्थित, साफसुथरा नगर प्रतीत हुआ था। कोटद्वार से इतना ही परिचय था।
पुस्तक के लेखक प्रिय पराग डिमरी जी के माध्यम से फेसबुक पर कोटद्वार को जितना पढ़ते थे पुस्तक उसका ही विस्तार है। कोटद्वार नगर और 90 के दशक से पूर्व के किसी भी उत्तर भारतीय नगर से किसी भी प्रकार जुड़ाव रखने वाले तथा और ऐसे नगरों व तत्कालीन समय मे ऐसे नगरों को समझने का प्रयास करने वाले लोगों के लिये पठनीय व सङ्ग्रहणीय पुस्तक के रूप में मैं “कोटद्वार, दिल लिखता भी है” को क्रय करने, पढ़ने व सङ्ग्रह करने व अन्य लोगों को प्रोत्साहित करने की अनुशंसा करता हूँ।
कोटद्वार वर्तमान में उत्तराखंड राज्य के पौड़ी गढ़वाल जनपद का मैदानी क्षेत्र का एकमात्र व जनपद का सबसे बड़ा नगर है। कोटद्वार एक प्रमुख औद्योगिक व व्यवसायिक नगर होने के साथ गढ़देश (गढ़वाल) का बिजनौर जनपद की ओर से प्रवेशद्वार भी है। 2014 के सामान्य चुनावों में लोकसभा क्षेत्र का व्यय प्रेक्षक रहते दो-तीन बार और पश्चात में एक सहकर्मी की बारात में सम्मिलित होकर कोटद्वार जाना हुआ था। सामान्य रूप से देखने में व्यवस्थित, साफसुथरा नगर प्रतीत हुआ था। कोटद्वार से इतना ही परिचय था।
पुस्तक के लेखक प्रिय पराग डिमरी जी के माध्यम से फेसबुक पर कोटद्वार को जितना पढ़ते थे पुस्तक उसका ही विस्तार है। कोटद्वार नगर और 90 के दशक से पूर्व के किसी भी उत्तर भारतीय नगर से किसी भी प्रकार जुड़ाव रखने वाले तथा और ऐसे नगरों व तत्कालीन समय मे ऐसे नगरों को समझने का प्रयास करने वाले लोगों के लिये पठनीय व सङ्ग्रहणीय पुस्तक के रूप में मैं “कोटद्वार, दिल लिखता भी है” को क्रय करने, पढ़ने व सङ्ग्रह करने व अन्य लोगों को प्रोत्साहित करने की अनुशंसा करता हूँ।
कोटद्वार के बारे में शानदार लिखा है पढ़कर ऐसा लगता है कि आप भी लेखक कि साथ कोटद्वार यात्रा पर है । बधाई पराग जी इतनी शानदार किताब लिखने के लिये।इसको पढ़कर ऐसा लगा कि हम भी कहीं न कहीं इससे जुड़े हुए हैं
Good book