Khushhali Ka Panchnama | खुशहाली का पंचनामा
विश्व के सबसे खुशहाल देश कहे जाने वाले नॉर्वे को टटोलते हुए ऐसे सूत्र मिलते हैं जो भारत में पहले से मौजूद हैं। बल्कि मुमकिन है कि ये भारत से बहकर आए हों। लेखन ने रोचक डायरी रूप में दोनों देशों के इतिहास से लेकर वर्तमान तक जीवन शैलियों का आंकलन किया है। खुशहाली का पंचनामा एक यात्रा संस्मरण नहीं बल्कि प्रवास संस्मरण है। लेखक बड़ी सहजता से आर्यों की तफतीश करते हुए रोजमर्रा के किस्से सुनाते चलते हैं और उनमें ही वह रहस्य पिरोते चलते हैं, जिन से समाज में सकारात्मक बदलाव आ सकता है। इस डायरी का ध्येय ये जानना है कि कोई भी देश अपनी बेहतरी और खुशहाली के लिए किस तरह के कदम उठा सकता है।
खुशहाली क्या वाकई परिभाषित की जा सकती है या ये बस एक तिलिस्म है? सामाजिक समरसता की बहाली क्या कोई लोकतान्त्रिक सरकार करने में सक्षम हो सकती है?
क्या मीडिया स्वतंत्र हो सकती है? क्या अमीर गरीब के भेद मिट सकते हैं? क्या मुमकिन है और क्या नहीं? और अगर मुमकिन भी है तो आखिर कैसे?
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