हिन्दयुग्म प्रकाशन
₹100 ₹70 (-30%)
In stock
Iss Paar Main इस पार मैं – पता नही क्यों सारे भराव के बावजूद कुछ खाली-खाली-सा हमेशा साथ ही रहा मेरे। जो तमाम कोश़िश़ों के बाद भी ख़न-ख़न करने से बाज़ नही आता है। इस ख़ालीपन की आवाज़ से बेतरहा ख़ौफ आता रहा है मुझे।उससे पार पाने के लिये मैं उससे ही बातें करने लगती हूँ। शायद उसे पलटकर डराने के लिहाज़ से या शायद अपने डर से पिंड छुड़ाने की बाबत, और यहीं मैं अपनी कमजोर नस उसे थमा देती हूँ।
विभिन्न पत्र पत्रिकाओं में प्रकाशित समसामयिक आलेखों, कविताओं, कहानियों, संस्मरणों एवं हास्य व्यंग्य की अनेक रचनाओं के साथ ही
ऑनलाइन डेटिंग अप्रॉक्स 25:35 ( उपन्यास )
इस पार मैं ( काव्य संग्रह )
दिल की खिड़की में टँगा तुर्की ( यात्रा वृत्तांत )
इन तीन किताबों के ज़रिए इस संसार को अपने नज़रिए से थोड़ा सामने रखने के बाद बस इतना ही कि अभी मैं उस पुल की भूमिका में हूँ जो वियतनाम और आपके बीच का फासला मिटा रही है। इसके सिवाय अपनी सारी भूमिकाएँ गिनाना मैं अभी मुल्तवी करती हूँ। इस चाहना के साथ कि इस पुल से गुज़रने के बाद वियतनाम की भूमि पहुँचने पर वहाँ बिताया गया आपका कुछ समय सार्थक और सानंद व्यतीत होगा।
Reviews
There are no reviews yet.