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₹175₹125-
स्त्रियाँ जो मिटाना चाहती हैं अपने माथे पर लिखी मूर्खता किताबों में उनके नाम दर्ज चुटकुलों, और इस चलन को भी जो कहता है, ‘‘यह तुम्हारे मतलब की बात नहीं’’ मगर सिमट जाती हैं मिटाने में कपड़ों पर लगे दाग, चेहरों पर लगे दाग, और चुनरी में लगे दागों को, स्त्रियाँ, जो होना चाहती हैं खड़ी चैपालों, पान ठेलों और चाय की गुमटियों पर करना चाहती है
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₹160₹120-
December Sanjog – प्रस्तुत संग्रह में प्यार के ताने-बानों के साथ जीवन की कड़वी मीठी सच्चाइयाँ भी अनायास ही बुनी गई हैं। जीवन के मिले-जुले अनुभवों को, शब्दों के जाल में समेट लेना, संजो लेना, मन को कहीं न कहीं तसल्ली देता है।
“आखर ढाई” एक ऐसी युवती की कहानी है जो सच्चे प्रेम की तलाश में आजीवन भटकती रहती है। अंततः उसे उसका सच्चा प्यार मिलता है लेकिन क्या सच में ये उसका अंतिम प्यार है?
ऐसे ही “उस रात की बात” का कथानक सिहरन पैदा करने वाला है, तब भी रत्ती बुआ की कहानी एक सत्य घटना से प्रेरित है। “पंखुरी-पंखुरी हरसिंगार” की कमसिन-कोमलांगी नायिका समय और परिस्थितियों के साथ एक सशक्त स्त्री बनती है और अपने निर्णय स्वयं लेने में सक्षम रहती
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₹160₹120-
’Kachahari nama’, सरकारी कार्यालय व जीवन के आम अनुभवों पर आधारित है, जिसे पढ़कर आप अपने आसपास की घटनाओं को सिर्फ देखेंगे ही नहीं बल्कि जिएँगे भी।
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₹199₹145-
Main se maa tak – माँ बनने के साथ शारीरिक, मानसिक और मनोवैज्ञानिक स्तर पर जो परिवर्तन होते हैं और अनुभूतियों में जो उतार-चढ़ाव आते हैं उनके बारे में बहुत अंतरंगता से मैं से माँ तक में बात की गयी है।
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₹185₹140-
Meri Priya Kahaniyan (मेरी प्रिय कहानियाँ) – शिवानी नारी जीवन व उसके मन की पर्तों को गहराई से उद्घाटित करने वाली विषयवस्तु के कारण हिन्दी की महिला कथाकारों में अपना विशिष्ट स्थान रखती हैं। उनकी कहानियों की संख्या लगभग 100 के आसपास होगी।
कहानियों की मुख्य पात्र भी स्त्रियां ही हैं। विषयवस्तु की दृष्टि से उनकी कहानियाँ संवेदना की गहराई में जाकर समाज के यथार्थ को सामने लाती हैं। उनकी कहानियाँ पाठकों का मनोरंजन तो करती ही हैं साथ ही उन्हें झकझोरती भी हैं।
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₹165₹120-
पानी का बदला | Pani Ka Badla – बच्चों के मन को गुदगुदाते-हँसाते कुछ सीख दे जाने वाली बीस बाल कहानियों का संग्रह
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₹165₹130-
प्रेमतीर्थ – एक जुझारू राजनेता और गुजरात के सफल मुख्यमन्त्री के रूप में नरेन्द्र मोदी से सभी परिचित हैं। लेकिन बहुत कम लोग यह जानते होंगे कि नरेन्द्र मोदी एक लेखक भी हैं। अपनी युवावस्था में लिखी संवेदना से भरी उनकी ये कहानियाँ प्रेम और अनुराग के अलग-अलग पहलुओं को दर्शाती हैं। नरेन्द्र मोदी का मानना है कि मातृप्रेम की समस्त प्रेम का स्रोत है और उससे बढ़कर कोई सच्चा प्रेम नहीं है। मनुष्य के बीच अलग-अलग प्रेम इसी मातृप्रेम के विभिन्न रूप हैं, चाहे वह प्रेम दो दोस्तों में हो, एक अध्यापक का अपने छात्र के लिए, एक डाक्टर का अपने मरीज़ के लिए या फिर एक पति का अपनी पत्नी के लिए हो। ये कहानियाँ पढ़कर आश्चर्य होता है कि इतने शक्तिशाली राजनीतिक व्यक्तित्व के पीछे इतना कोमल हृदय धड़कता है। ये कहानियाँ नरेन्द्र मोदी के बहुआयामी व्यक्तित्व का एक और पहलू उजागर करती हैं। गुजराती से हिन्दी में इन कहानियों का अनुवाद गुजरात केन्द्रीय विश्वविद्यालय के प्रोफेसर एवं विभागाध्यक्ष आलोक गुप्त ने किया है। हर कहानी पर गुजरात के एक विशिष्ट लेखक की समीक्षा है जो इस संग्रह की शोभा बढ़ाती है।
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₹200₹130-
Rukawat Ke liye Khed Hai – ‘‘इससे भी अजीबोग़रीब क़िस्सा तेल का था…हमारे पूर्वजों को धरती में से एक ऐसा द्रव मिला था जो इसके भीतर वनस्पति के दबने से लाखों वर्षों में तैयार हुआ था… लेकिन लोगों ने इसे जला जलाकर दो सौ सालों में ही ख़त्म कर डाला था…जब तक तेल था तब तक मोटरकारें और हवाई जहाज़ बिजली की जगह इसी तेल से चलते थे…फिर जब यह ख़त्म हुआ तो इसे लेकर पता नहीं कितनी लड़ाइयाँ लड़ी गयीं…इस्राइल के इतिहासकार गोमिश ने माना है कि प्रकृति के विरुद्ध इंसान का यह जघन्य अपराध तारीख़ कभी माफ़ नहीं कर पाएगी…यह तेल लाखों औषधियों और बहुमूल्य पदार्थों को बनाने में काम आ सकता था…एक अन्य पर्यावरण विशेषज्ञ ने कहा कि यह कौम अगर वक़्त रहते कुछ ज़िम्मेदारी से पेश आयी होती तो आज इस ग्रह का तापमान कम से कम पाँच से दस डिग्री तक कम होता और हमें घर से निकलने से पहले अपनी त्वचा को बचाने के लिए इस इन्फ्रारेड प्रतिरोधक क्रीम को मलने की ज़रूरत न पड़ती…
(इसी पुस्तक की कहानी ‘ख़्वाब इक दीवाने का’ से)
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₹200₹140-
X Y ka Z – कुछ अलग तरह का गद्य पढ़ने की खोज में लगे पाठकों की तलाश जिन लेखकों पर जाकर समाप्त होती है, उनमें एक नाम प्रभात रंजन है। कहानी और संस्मरण के बीच आवाजाही करता यह लेखक अपने पाठक को अपनी शैली के प्रवाह और भाषा की रवानगी के साथ बहाए ले जाता हैं।
“जानकी पुल” यह नाम जैसे प्रभात रंजन का ही अब दूसरा नाम हो चुका है – पंकज सुबीर
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₹199₹130-
Zero Period – अविनाश की कहानियाँ पढ़ना अपनी खोई हुई स्लैमबुक को फिर से पा लेने जैसा है। – दिव्य प्रकाश दुबे
Zero Period, असल में दो दुनिया के बीच की एक विंडो, जो कुछ पैंतालीस मिनट से लेकर एक घंटे तक की होती थी।
एक दुनिया जिसमें हम स्कूली बच्चे, किताबों के गोवर्धन पहाड़ के नीचे दबे ‘नर्ड-कृष्णा’ की तरह अपने यशोदा-वासुदेवों के सपनों की गुलामी काट रहे थे और दूसरी दुनिया जिसमें हम वृन्दावन में फ्लूट प्ले करते, मक्खन चटोरते, चिल मारते ‘माचो-माखनचोर’ थे।
किताब में कोई ज्ञान दर्शन नहीं है, न किसी की ज़िन्दगी बदल जाएगी इसको पढ़ने के बाद। बस एक छोटे शहर की कहानी है जो एक बच्चे के इर्द-गिर्द घूमती है। किताब ख़त्म होते-होते, उम्मीद है कि आप उस बच्चे को देख, सुन और महसूस कर चुके होंगे;
वैसे ही जैसे सपने में ब्लैक एंड वाइट फ्रेम में कुछ लोग दिखते हैं; जिन्हें लगता है कि कहीं देखा है; पिछले जन्म में या कभी किसी बाज़ार की भीड़ में।
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₹149₹139-
“अरे आय एम् सीरियस। तुमने मुझे ऐसे धक्का न दिया होता तो मैं छलाँग लगाना कैसे सीखती? इसलिए थैंक यू!” – कहानी ‘कॉन्टैक्ट्स‘ से
“वो ही क्यों, हर स्त्री अग्निपाखी है। पूरा आसमान उसका है। उसकी उड़ान या आसमान तय करने का हक़ किसी को नहीं। किसी को भी नहीं।” – कहानी ‘अग्निपाखी‘ से
धनक के सातों रंगों से बनी, सबसे अनोखी, भारतीय स्त्रियों पर लिखी आठ कहानियाँ संजोये आपके समक्ष प्रस्तुत है कहानी संग्रह ‘अग्निपाखी’। आठ अलग-अलग कहानियों में अपनी ज़िंदगी जीतीं, अलग-अलग चुनौतियों का सामना करतीं ‘अग्निपाखी’ की नायिकाएँ स्नेही, संवेदनशील बेटी, बहन, प्रेमिका, पत्नी, माँ और बहू हैं, पर इनके साथ वे ज्वालजयी स्त्रियाँ हैं, जिनकी अपनी पहचान है, जिनका अपना आसमान है। भारतीय स्त्री के अग्नि तत्व को समर्पित, ‘अग्निपाखी’।
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₹115₹85-
कुल नौ कहानियों का यह संग्रह अनुपमा गांगुली का चौथा प्यार अपने आप में स्त्री-पुरुष संबंधों की जटिल सच्चाइयों को समेटे हुए है। ये फँतासियों और नाटकीयता से बहुत दूर अवसाद और कुंठाओं की सहज कहानियाँ हैं।
यहाँ आपको पारंपरिक वर्जनाओं और उनसे उपजे अंतर्द्वंद से जूझते ऐसे बहुत से किरदार मिलेंगे जिन पर बंधनों को तोड़ देने का फ़ितूर है और उन्हें तोड़ देने का मलाल भी। ये सभी कहानियाँ एक-दूसरे से बिल्कुल जुदा हैं।
कहानियों की भाषा सरस और प्रवाहमयी है। कहानीकारा ने बेबाक विषयों को बेहद शालीनता से बुना है। एकदम नए शिल्प और शैली की ये कहानियाँ अनायास ही पाठक के भीतर गहरे उतर जाती हैं। इन कहानियों का सबसे प्रबल पक्ष यह है कि सभी कहानियों में कहीं-न-कहीं आप ख़ुद से रू-ब-रू होंगे और कमज़ोरी यह कि ये कहानियाँ आपको बेचैन और बहुत बेचैन कर सकती हैं
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₹199₹125 -
₹109₹99-
कहानियों के मैदान में लड़कों की दादागिरी ही क्यों चले। ऐसी कौन सी शैतानी है जो लड़कियाँ नहीं कर सकतीं? मस्ती के कौन से मैदान में लड़कियाँ अपनी धाक नहीं जमा सकतीं?
वैसे समझने की बात यह भी है कि लड़कियों की टीम में दादी-नानी, माँ-मौसी, चाची-मामी सब आती हैं।
तभी तो ‘आदी पादी दादी’ की कहानियों में मुख्य भूमिका निभाई है लड़कियों ने।
और दादी, नानी, माँ, मौसी, चाची-मामी, दीदी, छुटकी सब की सब लड़कियाँ ही तो हैं।
हाँ, कहीं-कहीं लड़कों को भी भूमिका या रोल दिए गए हैं लेकिन वे सहायक भूमिकाओं में हैं जिन्हें फिल्मी भाषा में कहा जाता है एक्स्ट्रा हाऽऽहा-हीऽहीऽहीऽहीऽ!!!!
वैसे लड़कियों की दुनिया की इन कहानियों को पढ़ कर लड़कों को भी पूरा मजा आएगा, क्योंकि इन कहानियों की हीरो या हीरोइनें उनकी भी तो दादी-नानी, माँ-मौसी, चाची-मामी, दीदी या प्यारी बहन हैं।
तो शुरू कर दो पढ़ना..
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₹150₹100-
नीम तले घास के बिछावन-सी मख़मली कहानियाँ। शफ़्फ़ाफ़ बर्फ़ पर स्कीइंग करते स्कीबाज़-सी फिसलती कहानियाँ। गंगा किनारे सखियों संग दौड़ती अल्हड़ बाला की गंगोत्री जल बरसाती हँसी-सी कहानियाँ। इंतज़ार में बुझती विरहिणी-सी जलती कहानियाँ। बेफिक्र, बेलौस यारों संग मुसीबतों की खिल्ली उड़ाती कहानियाँ। इस संग्रह ‘उदास पानी में डूबा चाँद’ की कहानियों में ऐसे कितने ही रंग हैं जो आपको अपने रंग में रंग लेंगे।
कहीं मिलन तो कहीं बिछड़न! कहीं साहसी निर्णय लेती आत्मनिर्भर नायिका तो कहीं सूखे पत्ते-सा टूटकर गिर गया नायक जो धूल झाड़ फ़िर खड़ा होने का हौंसला करता है। लेखक नीरज कुमार उपाध्याय की अनेक रंगों की इन चौदह कहानियों में आपके डूब जाने और खो जाने का पूरा ख़तरा है; किसी की नीम-बाज़ आँखों में डूबकर, किसी की नींद खो जाने-सा।
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₹195₹115 -
₹150₹100 -
₹150₹100 -
₹199₹179 -
₹200₹125-
बहुत वक़्त से सोच रहा था कि अपनी कहानियों में मृत्यु के इर्द-गिर्द का संसार बुनूँ। ख़त्म कितना हुआ है और कितना बचाकर रख पाया हूँ, इसका लेखा- जोखा कई साल खा चुका था। लिखना कभी पूरा नहीं होता… कुछ वक़्त बाद बस आपको मान लेना होता है कि यह घर अपनी सारी कहानियों के कमरे लिए पूरा है और उसे त्यागने का वक़्त आ चुका है। त्यागने के ठीक पहले, जब अंतिम बार आप उस घर को पलटकर देखते हैं तो वो मृत्यु के बजाय जीवन से भरा हुआ दिखता है। मृत्यु की तरफ़ बढता हुआ, उसके सामने समर्पित-सा और मृत्यु के बाद ख़ाली पड़े गलियारे की नमी-सा जीवन, जिसमें चलते-फिरते प्रेत-सा कोई टहलता हुआ दिखाई देने लगता है और आप पलट जाते हैं। —मानव कौल.
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Rukawat Ke liye Khed Hai | रुकावट के लिए खेद है
₹200₹130Rukawat Ke liye Khed Hai – ‘‘इससे भी अजीबोग़रीब क़िस्सा तेल का था…हमारे पूर्वजों को धरती में से एक ऐसा द्रव मिला था जो इसके भीतर वनस्पति के दबने से लाखों वर्षों में तैयार हुआ था… लेकिन लोगों ने इसे जला जलाकर दो सौ सालों में ही ख़त्म कर डाला था…जब तक तेल था तब तक मोटरकारें और हवाई जहाज़ बिजली की जगह इसी तेल से चलते थे…फिर जब यह ख़त्म हुआ तो इसे लेकर पता नहीं कितनी लड़ाइयाँ लड़ी गयीं…इस्राइल के इतिहासकार गोमिश ने माना है कि प्रकृति के विरुद्ध इंसान का यह जघन्य अपराध तारीख़ कभी माफ़ नहीं कर पाएगी…यह तेल लाखों औषधियों और बहुमूल्य पदार्थों को बनाने में काम आ सकता था…एक अन्य पर्यावरण विशेषज्ञ ने कहा कि यह कौम अगर वक़्त रहते कुछ ज़िम्मेदारी से पेश आयी होती तो आज इस ग्रह का तापमान कम से कम पाँच से दस डिग्री तक कम होता और हमें घर से निकलने से पहले अपनी त्वचा को बचाने के लिए इस इन्फ्रारेड प्रतिरोधक क्रीम को मलने की ज़रूरत न पड़ती…
(इसी पुस्तक की कहानी ‘ख़्वाब इक दीवाने का’ से)
Pani Ka Badla | पानी का बदला
₹165₹120पानी का बदला | Pani Ka Badla – बच्चों के मन को गुदगुदाते-हँसाते कुछ सीख दे जाने वाली बीस बाल कहानियों का संग्रह
X Y Ka Z | एक्स वाई का ज़ेड
₹200₹140X Y ka Z – कुछ अलग तरह का गद्य पढ़ने की खोज में लगे पाठकों की तलाश जिन लेखकों पर जाकर समाप्त होती है, उनमें एक नाम प्रभात रंजन है। कहानी और संस्मरण के बीच आवाजाही करता यह लेखक अपने पाठक को अपनी शैली के प्रवाह और भाषा की रवानगी के साथ बहाए ले जाता हैं।
“जानकी पुल” यह नाम जैसे प्रभात रंजन का ही अब दूसरा नाम हो चुका है – पंकज सुबीर
Kachahari Nama | कचहरी नामा
₹160₹120’Kachahari nama’, सरकारी कार्यालय व जीवन के आम अनुभवों पर आधारित है, जिसे पढ़कर आप अपने आसपास की घटनाओं को सिर्फ देखेंगे ही नहीं बल्कि जिएँगे भी।
December Sanjog | दिसम्बर संजोग
₹160₹120December Sanjog – प्रस्तुत संग्रह में प्यार के ताने-बानों के साथ जीवन की कड़वी मीठी सच्चाइयाँ भी अनायास ही बुनी गई हैं। जीवन के मिले-जुले अनुभवों को, शब्दों के जाल में समेट लेना, संजो लेना, मन को कहीं न कहीं तसल्ली देता है।
“आखर ढाई” एक ऐसी युवती की कहानी है जो सच्चे प्रेम की तलाश में आजीवन भटकती रहती है। अंततः उसे उसका सच्चा प्यार मिलता है लेकिन क्या सच में ये उसका अंतिम प्यार है?
ऐसे ही “उस रात की बात” का कथानक सिहरन पैदा करने वाला है, तब भी रत्ती बुआ की कहानी एक सत्य घटना से प्रेरित है। “पंखुरी-पंखुरी हरसिंगार” की कमसिन-कोमलांगी नायिका समय और परिस्थितियों के साथ एक सशक्त स्त्री बनती है और अपने निर्णय स्वयं लेने में सक्षम रहती
Zero Period | ज़ीरो पीरीअड
₹199₹130Zero Period – अविनाश की कहानियाँ पढ़ना अपनी खोई हुई स्लैमबुक को फिर से पा लेने जैसा है। – दिव्य प्रकाश दुबे
Zero Period, असल में दो दुनिया के बीच की एक विंडो, जो कुछ पैंतालीस मिनट से लेकर एक घंटे तक की होती थी।
एक दुनिया जिसमें हम स्कूली बच्चे, किताबों के गोवर्धन पहाड़ के नीचे दबे ‘नर्ड-कृष्णा’ की तरह अपने यशोदा-वासुदेवों के सपनों की गुलामी काट रहे थे और दूसरी दुनिया जिसमें हम वृन्दावन में फ्लूट प्ले करते, मक्खन चटोरते, चिल मारते ‘माचो-माखनचोर’ थे।
किताब में कोई ज्ञान दर्शन नहीं है, न किसी की ज़िन्दगी बदल जाएगी इसको पढ़ने के बाद। बस एक छोटे शहर की कहानी है जो एक बच्चे के इर्द-गिर्द घूमती है। किताब ख़त्म होते-होते, उम्मीद है कि आप उस बच्चे को देख, सुन और महसूस कर चुके होंगे;
वैसे ही जैसे सपने में ब्लैक एंड वाइट फ्रेम में कुछ लोग दिखते हैं; जिन्हें लगता है कि कहीं देखा है; पिछले जन्म में या कभी किसी बाज़ार की भीड़ में।
Main Se Maa Tak | मैं से माँ तक
₹199₹145Main se maa tak – माँ बनने के साथ शारीरिक, मानसिक और मनोवैज्ञानिक स्तर पर जो परिवर्तन होते हैं और अनुभूतियों में जो उतार-चढ़ाव आते हैं उनके बारे में बहुत अंतरंगता से मैं से माँ तक में बात की गयी है।
Baheliye | बहेलिए
₹175₹125स्त्रियाँ जो मिटाना चाहती हैं अपने माथे पर लिखी मूर्खता किताबों में उनके नाम दर्ज चुटकुलों, और इस चलन को भी जो कहता है, ‘‘यह तुम्हारे मतलब की बात नहीं’’ मगर सिमट जाती हैं मिटाने में कपड़ों पर लगे दाग, चेहरों पर लगे दाग, और चुनरी में लगे दागों को, स्त्रियाँ, जो होना चाहती हैं खड़ी चैपालों, पान ठेलों और चाय की गुमटियों पर करना चाहती है
Premtirth | प्रेमतीर्थ
₹165₹130प्रेमतीर्थ – एक जुझारू राजनेता और गुजरात के सफल मुख्यमन्त्री के रूप में नरेन्द्र मोदी से सभी परिचित हैं। लेकिन बहुत कम लोग यह जानते होंगे कि नरेन्द्र मोदी एक लेखक भी हैं। अपनी युवावस्था में लिखी संवेदना से भरी उनकी ये कहानियाँ प्रेम और अनुराग के अलग-अलग पहलुओं को दर्शाती हैं। नरेन्द्र मोदी का मानना है कि मातृप्रेम की समस्त प्रेम का स्रोत है और उससे बढ़कर कोई सच्चा प्रेम नहीं है। मनुष्य के बीच अलग-अलग प्रेम इसी मातृप्रेम के विभिन्न रूप हैं, चाहे वह प्रेम दो दोस्तों में हो, एक अध्यापक का अपने छात्र के लिए, एक डाक्टर का अपने मरीज़ के लिए या फिर एक पति का अपनी पत्नी के लिए हो। ये कहानियाँ पढ़कर आश्चर्य होता है कि इतने शक्तिशाली राजनीतिक व्यक्तित्व के पीछे इतना कोमल हृदय धड़कता है। ये कहानियाँ नरेन्द्र मोदी के बहुआयामी व्यक्तित्व का एक और पहलू उजागर करती हैं। गुजराती से हिन्दी में इन कहानियों का अनुवाद गुजरात केन्द्रीय विश्वविद्यालय के प्रोफेसर एवं विभागाध्यक्ष आलोक गुप्त ने किया है। हर कहानी पर गुजरात के एक विशिष्ट लेखक की समीक्षा है जो इस संग्रह की शोभा बढ़ाती है।
Meri Priya Kahaniyan | मेरी प्रिय कहानियाँ
₹185₹140Meri Priya Kahaniyan (मेरी प्रिय कहानियाँ) – शिवानी नारी जीवन व उसके मन की पर्तों को गहराई से उद्घाटित करने वाली विषयवस्तु के कारण हिन्दी की महिला कथाकारों में अपना विशिष्ट स्थान रखती हैं। उनकी कहानियों की संख्या लगभग 100 के आसपास होगी।
कहानियों की मुख्य पात्र भी स्त्रियां ही हैं। विषयवस्तु की दृष्टि से उनकी कहानियाँ संवेदना की गहराई में जाकर समाज के यथार्थ को सामने लाती हैं। उनकी कहानियाँ पाठकों का मनोरंजन तो करती ही हैं साथ ही उन्हें झकझोरती भी हैं।