बनारस टॉकीज न सिर्फ बनारस की कहानी है बल्कि लॉ स्कूल के छात्रों की दोस्ती, मस्ती और अठखेलियों का भी सटीक चित्रण है। आप कभी बनारस न भी गए हों तब भी कहानी पढ़ते पढ़ते बनारस आपको अपना लगने लगता है। कहानी में पात्रों की संवेदनाओं के जीवंत चित्र उकेरे गए हैं। भाषा प्रवाह उल्लेखनीय है। अगर आप अपने कॉलेज के दिनों को एक बार फिर जी लेना चाहते हैं तो ज़रूर पढ़िए।
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Abhishek Singh Rajawat
Reviewer
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अगर किसी उपन्यास को लेकर कोई फिल्म बन रही है तो वो अच्छा है, इस कथन से मन इत्तेफाक नहीं रखता, लेकिन ये लाख के उपर बिक चुकी कही जाने वाली किताब अगर आप दुबारा या तिबारा भी पढेगे तो आपको उतनी ही मनोरंजक लगेगी जितनी पहली बार में लगी थी.| अब ये बनारस का जादू है या शब्दों का ये तो आपको खुद पता लगाना पड़ेगा
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Banaras Talkies
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Banaras Talkies | बनारस टॉकीज –A perfect college. Three imperfect students. A caring hostel. Three careless mates. Three decisive years. Three ignorant souls. A bomb blast and A close shave. Welcome to life through the gate of BHU.
बनारस टॉकीज न सिर्फ बनारस की कहानी है बल्कि लॉ स्कूल के छात्रों की दोस्ती, मस्ती और अठखेलियों का भी सटीक चित्रण है। आप कभी बनारस न भी गए हों तब भी कहानी पढ़ते पढ़ते बनारस आपको अपना लगने लगता है। कहानी में पात्रों की संवेदनाओं के जीवंत चित्र उकेरे गए हैं। भाषा प्रवाह उल्लेखनीय है। अगर आप अपने कॉलेज के दिनों को एक बार फिर जी लेना चाहते हैं तो ज़रूर पढ़िए।
अगर किसी उपन्यास को लेकर कोई फिल्म बन रही है तो वो अच्छा है, इस कथन से मन इत्तेफाक नहीं रखता, लेकिन ये लाख के उपर बिक चुकी कही जाने वाली किताब अगर आप दुबारा या तिबारा भी पढेगे तो आपको उतनी ही मनोरंजक लगेगी जितनी पहली बार में लगी थी.| अब ये बनारस का जादू है या शब्दों का ये तो आपको खुद पता लगाना पड़ेगा