इस संग्रह की कहानियाँ हमारे मन के प्रश्नों का उत्तर खोजती नजर आती हैं। जैसे: क्या वाकई श्राप लगता है? या वास्तव में वरदान मिलते हैं? क्या दो तरफा मानवीय रिश्ते हमें कुछ सिखाते हैं? क्या प्यार में एक सार्वभौमिक सत्य की सुगंध, छुअन और अनुभूति स्वत: होती है? और जब होती है तो कायनात भी साथ देती है? क्या समय के साथ यथा स्थिति को स्वीकार लेना हमें हल्का बनाता है? या हमारा कनफ्यूजन बढ़ता है? कैसे किसी सर्व हिताय संदेश के प्रति जनमानस को जागरुक करने के लिए कहानी एक महत्वपूर्ण टूल हो जाती है? जीवन, पानी और प्रदूषण के अंतर्संबंध कहां तक जाते हैं? क्या पुत्र मोह माँ को भी बायस्ड करता है?अमूमन पत्नियों को ही टेकन फॉर ग्रांटेड क्यों लिया जाता है? ग्लानि को सुन लिया जाना कितना जरूरी है? समय के साथ रिश्तों में कैसा अवमूल्यन होता है? क्या अपनी बात को समझने की कोई कला होती है? किसी मानसिक द्वंद्व से उबरने पर कैसा लगता है? क्या प्राणायाम आसन और धर्म का आपस में कोई सम्बंध है? आज बुढ़ापे की आम त्रासदी क्या है और क्या उसका कुछ इलाज है?
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