“अगर दुनिया सरल होती तो गांधी सर्वाधिक प्रासंगिक व्यक्ति होते।” ….गांधी साहित्य में रुचि रखने वाले प्रत्येक व्यक्ति को सुशोभित द्वारा रचित पुस्तक गांधी की सुंदरता एक बार अवश्य पढ़नी चाहिए।
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Gandhi Ki Sundarta
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Gandhi Ki Sundarta – महात्मा गाँधी पर एक नई समझ समय की ज़रूरत है। हमें लगता है कि हम गाँधीजी को जानते हैं, जबकि वैसा है नहीं। हालात तब और जटिल हो जाते हैं, जब हम देखते हैं कि विपरीत लक्ष्यों को लेकर चलने वाली विचारधाराएँ गाँधी-विचार की खंडित व्याख्याएँ करते हुए उन्हें अपने हितपोषण के लिए अपहृत करती हैं।
आज हम देखते हैं कि यत्र-तत्र गाँधीजी को लेकर सतही सूचनाओं का घटाटोप है, किंतु एक उजली और धारदार समझ उससे नहीं बन पाती है। यह पुस्तक इस अभाव की पूर्ति करती है। इसे आप गाँधी-विचार में प्रवेश की प्राथमिकी भी कह सकते हैं।
यह गाँधीजी से जुड़े महत्वपूर्ण प्रश्नों पर यथेष्ट गम्भीरता, प्रामाणिकता और सुस्पष्टता से व्याख्यान करती है और हमारे सामने उनके उचित परिप्रेक्ष्यों को प्रकट करती है। यह एक महात्मा के भीतर के मानुष को प्रकाशित करने का उद्यम भी है। इस छोटी-सी पुस्तक में गाँधीजी को समझने की सिलसिलेवार कुंजियाँ निहित हैं।
13 अप्रैल 1982 को मध्यप्रदेश के झाबुआ में जन्म। शिक्षा-दीक्षा उज्जैन से। अँग्रेज़ी साहित्य में स्नातकोत्तर। कविता की दो पुस्तकों ‘मैं बनूँगा गुलमोहर’ और ‘मलयगिरि का प्रेत’ सहित लोकप्रिय फ़िल्म-गीतों पर विवेचना की एक पुस्तक ‘माया का मालकौंस’ प्रकाशित। ‘माउथ ऑर्गन’ और ‘गांधी की सुंदरता’ उनकी अन्य पुस्तकें हैं। अँग्रेज़ी के लोकप्रिय उपन्यासकार चेतन भगत की पाँच पुस्तकों का अनुवाद भी किया है।संप्रति दैनिक भास्कर समूह की पत्रिका अहा! ज़िंदगी के सहायक संपादक।ईमेल- sushobhitsaktawat@gmail.com
“अगर दुनिया सरल होती तो गांधी सर्वाधिक प्रासंगिक व्यक्ति होते।” ….गांधी साहित्य में रुचि रखने वाले प्रत्येक व्यक्ति को सुशोभित द्वारा रचित पुस्तक गांधी की सुंदरता एक बार अवश्य पढ़नी चाहिए।