हेमा बिष्ट द्वारा लिखित पुस्तक धुरंधर एक बेटी द्वारा अपने पिता को दी गई एक अद्भुत श्रद्धांजलि है। ये जीवनी हर परिवार को पढ़नी चाहिए , हर पिता और हर बेटे बेटियों को पढ़नी चाहिए। जिंदगी की गांठे खोल देने वाला , कई जगह आंखों को नम कर देने वाली भावुक कृति है ये। इस रचना को पढ़ कर आप जीवन की कितनी कड़वाइयों को माफ कर देंगे। अपनों की गलतियों को माफ कर देंगे। A must read for all.
अप्रैल 2021, ऑस्ट्रेलिया में लॉकडाउन के चलते इंटरनेशनल बॉर्डर बंद थे। मेरे पापा इंडिया में अस्पताल में भर्ती थे और मैं यहाँ मेल्बर्न में छटपटा रही थी कि उनसे किस विधि मिलना हो। एक अभागे दिन खबर मिली कि अब उनसे कभी भी मिलना ना हो सकेगा। वो चार दिन अस्पताल में रहने के बाद अपनी पीड़ा से और इस जीवन से छूट गए। देश से बाहर होने के कारण मुझे बारहा लगता है कि मैं उनसे मिल ना सकी। उनके अंतिम दर्शन ना कर सकी।
रह-रह कर मुझे इस बात ने भी उद्विग्न करना शुरू कर दिया कि पापा ने उस नैराश्य से भरे निरे एकांत में कैसा महसूस किया होगा? कैसा क़हर टूटा होगा ये जानकर कि अब किसी के अन्तिम दर्शन ना हो सकेंगे? कैसे इस पीड़ा को पार किया होगा उन्होंने कि वो अपनी अंतिम इच्छा, अंतिम आदेश और आख़िरी आशीष किसी तक नहीं पहुँचा सकेंगे?
इन्हीं सब सवालों के ज़वाब ढूँढने और अपने पापा को तलाशने की तड़पन, तरसन, चाहना और वेदना की यात्रा में ये कहानी बन पड़ी है। ये मेरा प्रयास मात्र है अपने पापा को समझने का। अपने पापा को अपने ही मन में ढूँढ लेने और प्रतिष्ठित कर लेने की कोशिश है यह कहानी।
Paramjit (verified owner) –
हेमा बिष्ट द्वारा लिखित पुस्तक धुरंधर एक बेटी द्वारा अपने पिता को दी गई एक अद्भुत श्रद्धांजलि है। ये जीवनी हर परिवार को पढ़नी चाहिए , हर पिता और हर बेटे बेटियों को पढ़नी चाहिए। जिंदगी की गांठे खोल देने वाला , कई जगह आंखों को नम कर देने वाली भावुक कृति है ये। इस रचना को पढ़ कर आप जीवन की कितनी कड़वाइयों को माफ कर देंगे। अपनों की गलतियों को माफ कर देंगे। A must read for all.