सत्य व्यास, अपने किताब के विषय के साथ-साथ उसमें किये गए प्रयोगों के लिए अधिक जाने जाते हैं, हालाँकि मुझे इनकी इस किताब से कुछ अलग ही उम्मीद थी फिर भी एक मनोरंजक कहानी के रूप में उनका ये प्रयोग पूरी तरह सफल रहा है….
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Chaurasi
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Chaurasi | चौरासी सन 1984 के सिख दंगों से प्रभावित एक प्रेम कहानी है। यह कथा नायक ऋषि के एक सिख परिवार को दंगों से बचाते हुए स्वयं दंगाई हो जाने की कहानी है। यह अमानवीय मूल्यों पर मानवीय मूल्यों के विजय की कहानी है। यह टूटती परिस्थियों मे भी प्रेम के जीवित रहने की कहानी है। यह उस शहर की व्यथा भी है जो दंगों के कारण विस्थापन का दर्द सीने में लिए रहती है। यह वक़्त का एक दस्तावेज़ है।
सत्य व्यास: अस्सी के दशक में बूढ़े हुए। नब्बे के दशक में जवान। इक्कीसवीं सदी के पहले दशक में बचपना गुजरा और कहते हैं कि नई सदी के दूसरे दशक में पैदा हुए हैं। अब जब पैदा ही हुए हैं तो खूब उत्पात मचा रहे हैं।
चाहते हैं कि उन्हें कॉस्मोपॉलिटन कहा जाए। हालाँकि देश से बाहर बस भूटान गए हैं। पूछने पर बता नहीं पाते कि कहाँ के हैं। उत्तर प्रदेश से जड़ें जुड़ी हैं। २० साल तक जब खुद को बिहारी कहने का सुख लिया तो अचानक ही बताया गया कि अब तुम झारखंडी हो। उसमें भी खुश हैं।
खुद जियो औरों को भी जीने दो के धर्म में विश्वास करते हैं और एक साथ कई-कई चीजें लिखते हैं। अंतर्मुखी हैं इसलिए फोन की जगह ईमेल पर ज्यादा मिलते हैं।
ब्लॉगिंग, कविता और फिल्मों के रुचि रखने वाले सत्य व्यास फ़िलहाल दो फिल्मों की पटकथा लिख रहे हैं। पहले चारों उपन्यास बनारस टॉकीज, दिल्ली दरबार, चौरासी और बाग़ी बलिया ‘दैनिक जागरण-नीलशन बेस्टसेलर’ की सूची में शामिल रहे हैं। तीसरे उपन्यास चौरासी पर ग्रहण के नाम से वेब सीरीज भी बनी। 1931 -देश या प्रेम के बाद लकड़बग्घा इनका सातवाँ उपन्यास है। ईमेल : authorsatya@gmail.com
सत्य व्यास, अपने किताब के विषय के साथ-साथ उसमें किये गए प्रयोगों के लिए अधिक जाने जाते हैं, हालाँकि मुझे इनकी इस किताब से कुछ अलग ही उम्मीद थी फिर भी एक मनोरंजक कहानी के रूप में उनका ये प्रयोग पूरी तरह सफल रहा है….