भोलाशंकर गायब हो गया! कहीं कोई पता नहीं। स्वीप के उसके बाकी साथियों को लगता है कि भोलाशंकर किसी मिशन में शहीद हो गया और उसके पिता और उनलोगों के बॉस पंडित गोपाल शंकर इस बात को उनसे छुपा रहे हैं। भोलाशंकर के बाकी चार साथियों ने स्वीप से सामूहिक इस्तीफा देने का निश्चय कर लिया। आखिर कहाँ गायब था भोलाशंकर? क्या सच में कोई अनहोनी हो गयी थी? क्या चाँडाल चौकड़ी भोलाशंकर का पता लगाने में कामयाब हुई? क्या कारण था कि गोपाल शंकर भोला शंकर का पता बताने को तैयार नहीं थे? जानने के लिए पढ़ें चाँडाल चौकड़ी
आनंद प्रकाश जैन का जन्म उत्तर प्रदेश के मुजफ्फरनगर जनपद के कस्बा शाहपुर में 15 अगस्त, 1927 को हुआ। पहली कहानी ‘जीवन नैया’ सरसावा से प्रकाशित मासिक ‘अनेकांत’ में सन् 1941 में प्रकाशित हुई। श्री जैन ने अनेक पत्र-पत्रिकाओं का कुशल संपादन किया। वे सन् 1959 से 1974 तक तत्कालीन समय की प्रसिद्ध बाल पत्रिका ‘पराग’ के संपादक रहे। उन्होंने ‘चंदर’ उपनाम से अस्सी से अधिक रोमांचकारी उपन्यासों का लेखन किया।
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