डुगडुगी मुल्क, जहाँ मर्द औरतों के गुलाम हुआ करते थे। उनकी हर साँस पर औरतों का कब्ज़ा था। ऐसे में, जब एक पढ़ी लिखी आधुनिक मलिका ने उन्हें आजादी देने का निश्चय किया, तो जैसे सारा मुल्क उसके विरोध में खड़ा हो गया। क्या हुआ, जब मर्दों को आजादी हासिल हुई? क्यों मलिका आज मर्दों को आजाद करने के अपने फैसले पर पछता रही थी? भोलाशंकर इस बार अनोखे मुल्क डुगडुगी में। जहाँ मर्द सिर्फ रात को दिखते थे।
आनंद प्रकाश जैन का जन्म उत्तर प्रदेश के मुजफ्फरनगर जनपद के कस्बा शाहपुर में 15 अगस्त, 1927 को हुआ। पहली कहानी ‘जीवन नैया’ सरसावा से प्रकाशित मासिक ‘अनेकांत’ में सन् 1941 में प्रकाशित हुई। श्री जैन ने अनेक पत्र-पत्रिकाओं का कुशल संपादन किया। वे सन् 1959 से 1974 तक तत्कालीन समय की प्रसिद्ध बाल पत्रिका ‘पराग’ के संपादक रहे। उन्होंने ‘चंदर’ उपनाम से अस्सी से अधिक रोमांचकारी उपन्यासों का लेखन किया।
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