अपने लोभ और वासना के लिए रिश्तों की बलि चढ़ा देने वाले एक वहशी की कहानी जो पिता के कत्ल के इल्ज़ाम में गिरफ्तार था, लेकिन कैद से छूटते ही उसने जैसे कहर ढा दिया। हिजड़ों का गिरोह जिसके चंगुल में फँसे राम और श्याम! क्या भोलाशंकर राम और श्याम को हिजड़ों की मंडली में शामिल होने से बचा पाएगा? कौन था बौना उस्ताद? क्या रिश्ता था उसका पितृहंता वहशी से? सारे सवालों के जवाब के लिए पढ़ें बौने उस्ताद..
आनंद प्रकाश जैन का जन्म उत्तर प्रदेश के मुजफ्फरनगर जनपद के कस्बा शाहपुर में 15 अगस्त, 1927 को हुआ। पहली कहानी ‘जीवन नैया’ सरसावा से प्रकाशित मासिक ‘अनेकांत’ में सन् 1941 में प्रकाशित हुई। श्री जैन ने अनेक पत्र-पत्रिकाओं का कुशल संपादन किया। वे सन् 1959 से 1974 तक तत्कालीन समय की प्रसिद्ध बाल पत्रिका ‘पराग’ के संपादक रहे। उन्होंने ‘चंदर’ उपनाम से अस्सी से अधिक रोमांचकारी उपन्यासों का लेखन किया।
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