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सुनील कुमार ‘सिंक्रेटिक’ मूल रूप से भोजपुर, बिहार के रहनेवाले। वर्तमान में राज्य सरकार में पदाधिकारी। बचपन से जीव-जंतुओं, वन्य प्राणियों में रुचि रही। वर्तमान हिन्दी में अपनी विधा के एक मात्र लेखक हैं। सब किस्सा लिखते हैं, ये बन किस्सा। इनकी प्रसिद्धि इंसानी चरित्र के मुताबिक जानवरों को ढूंढकर ऐसी कहानी गढ़ने की है कि जंगल का सामान्य सा किस्सा, कब मनुष्य का जीवन-किस्सा बन जाता है, पता ही नहीं चलता। विजुअल मोड इनकी लेखनी की विशेष शैली है। पढ़ने के साथ कहानी आँखों के सामने घूमने लगती है। इनकी पहली किताब ‘बनकिस्सा’ पाठकों के बीच ‘मॉडर्न पंचतंत्र’ के रूप में विख्यात है। ‘बात बनेचर’ उसी परंपरा की अगली किताब है