हिन्दयुग्म प्रकाशन
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विश्वास और उम्मीद की डोर थामे श्रीमंत परिवार जयंत के साथ रोहन की वसीयत का सच खोजने के लिए अपना सब कुछ दाँव पर लगा चुका था, किंतु जिस यात्रा के पग-पग पर छल हो उसमें किसका सच भरोसे योग्य था? मुमुक्षुओं और चिरंजीवियों के टकराव का अंत करने और छल की गहरी परतों में दबे पुरातन सत्य तक पहुँचने के लिए जयंत और श्रीमंत परिवार को क्या कीमत चुकानी होगी?
सौरभ कुदेशिया पिछले बीस वर्षों से पेशेवर लेखक और मैनेजर के तौर पर विभिन्न मल्टीनेशनल कंपनियों से जुड़े रहे हैं। अपने पेशेवर कैरियर में इन्होंने भारत, चीन, अमेरिका, और यूरोप में अनेक टीम और अनगिनत प्रोजेक्ट्स का संचालन किया है। नेशनल और इंटरनेशनल स्तर पर अनगिनत विषयों पर कई शोध-पत्र प्रस्तुत करने के साथ इन्होंने अनगिनत राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय संस्थानों के लिए स्वयंसेवक के तौर पर अपनी सेवाएँ प्रदान की हैं। बिरला इंस्टीवट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी एंड साइंस पिलानी, आईआईएम बेंगुलुरु, सिम्बायोसिस पुणे से पोस्ट ग्रैजुएट सौरभ वर्तमान में बेंगुलुरु की एक कंपनी में डायरेक्टर का पदभार संभाले हुए हैं।
Weight | 240 g |
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Dimensions | 21 × 13 × 2 cm |
फॉर्मैट | पेपरबैक |
भाषा | हिंदी |
Number of Pages | 304 |
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